लघु उद्योगों की तस्वीर बदलेगा ‘मेक इन इंडिया’ अभियान, लघु उद्योग शुरू करने के सम्बन्धी मार्गदर्शन, नया व्यवसाय शुरू करें और रोज़गार पायें
भारत में अपने आकार, प्रोद्यौगिकी के स्तर, उत्पादों की विभिन्नता और सेवा के लिहाज से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (एमएसएमई) क्षेत्र विविधताओं से भरा हुआ है। यह जमीनी ग्रामोद्योग से शुरू होकर ऑटो कल-पुर्जे के उत्पाद, माइक्रो-प्रोसेसर, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और विद्युत चिकित्सा उपकरणों तक फैला हुआ है। एमएसएमई ने हाल के वर्षों में 10% से अधिक की निरंतर वृद्धि दर दर्ज की है जो कॉरपोरेट क्षेत्र से भी अधिक है। इस क्षेत्र ने देश के सकल घरेलू उत्पाद(जीडीपी) में 8 फीसदी का योगदान दिया है जिसमें विनिर्मित उत्पादन में इसकी हिस्सेदारी 45 फीसदी है जबकि इसका निर्यात 40 फीसदी रहा है। एमएसएमई क्षेत्र ने आठ करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार के अवसर मुहैया कराएं हैं जिसमें 3.6 करोड़ उद्यम छह हजार से ज्यादा उत्पाद का उत्पादन करते हैं।
भारत उन चंद देशों में से एक है जो एमएसएमई क्षेत्र के लिए एमएसएमईडी अधिनियम-2006 के रूप में एक कानूनी ढांचा मुहैया कराता है। इसके प्रावधानों के अंतर्गत सार्वजनिक खरीद और लंबित भुगतान के पहलुओं को रेखांकित किया गया है।
'मेक इन इंडिया' अभियान भारतीय कंपनियों के साथ-साथ वैश्विक कंपनियों को विनिर्माण क्षेत्र में निवेश और साझेदारी के लिए प्रोत्साहित करता है। यह एक अच्छी अवधारणा है जो भारत के लघु उद्योगों के लिए सबसे अधिक प्रासंगिक है। 'मेक इन इंडिया' अभियान बहुराष्ट्रीय कंपनियों को निवेश और अपने उपक्रम स्थापित करने तथा कोष बनाने के लिए आकर्षित करता है। इससे उत्पादों और सेवाओं की विभिन्नता, विपणन नेटवर्क तथा तेजी से विकसित करने की क्षमता के लिहाज से एमएसएमई क्षेत्र को काफी फायदा होगा। इससे एक दूसरा फायदा यह होगा कि विदेशी भागीदारों को भारतीय एमएसएमई क्षेत्र के अनुभव का लाभ मिलेगा जहां इस क्षेत्र में पहले से ही उत्पादन प्रक्रिया चल रही है। यहां उत्पादन शुरू करने के लिए आवश्यक तमाम नेटवर्क पहले से ही स्थापित हैं। विदेशी बहुराष्ट्रीय कंपनियों को इन क्षेत्रों में उत्कृष्टता हासिल करने के लिए सिर्फ निवेश करने और तकनीकी जानकारी की जरूरत होगी।
एमएसएमई की क्षमताओं को बढ़ाने के क्रम मेंए सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय ने वित्तए बुनियादी ढांचेए प्रौद्योगिकी, विपणन और कौशल विकास के क्षेत्रों में कई कार्यक्रमों और योजनाओं को लागू किया है ताकि इस क्षेत्र से जुड़ी समस्याओं का समाधान किया जा सके। लागू किए गए विभिन्न कार्यक्रमों और योजनाओं के तहत 2014-15 के दौरान प्रमुख उपलब्धियां इस प्रकार हैं :
खरीद नीति
भारत सरकार ने एमएसएमई क्षेत्र के लिए सार्वजनिक खरीद नीति अधिसूचित की है। सूक्ष्मए,लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय ने इसे उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं के लिएए 23.3.2012 को जारी किया। यह एक अप्रैल 2012 से प्रभावी है। इस नीति के तहत सभी केन्द्रीय मंत्रालयों/विभागों/ सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के लिए उनकी वार्षिक जरूरत की वस्तुओं, सेवाओं का न्यूनतम 20 फीसदी हिस्सा एमएसएमई क्षेत्र से लेना अनिवार्य कर दिया गया है। इसके अलावा, इस नीति के तहत इस 20 फीसदी में से चार प्रतिशत की खरीद अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के उद्यमियों के स्वामित्व वाले एमएसएमई से करना होगा। यह नीति 1.4.2015 से अनिवार्य हो जाएगी।
इस नीति को सफलतापूर्वक और प्रभावी तरीके से लागू करने के मकसद से सभी केन्द्रीय मंत्रालयों/विभागों/सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को इस संबंध में सूचित कर दिया गया है। इस नीति से संबंधित सभी दस्तावेज औऱ विवरण मंत्रालय की वेबाइट पर उपलब्ध हैं। साथ ही तत्कालीन एमएसएमई मंत्री ने सभी मुख्यमंत्रियों से अनुरोध किया था वे अपने अपने राज्यों में सुक्ष्म एवं मध्यम उद्योगों के लिए एमएसएमईडी अधिनियम-2006 की तर्ज पर एक कानून लागू करें। इस नीति को लागू करने के संबंध में केन्द्रीय मंत्रालयों/विभागों/सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (सीपीएसयू) की ओर से उठने वाले सवालों का समय समय पर जवाब दिया जाता रहा है। उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार सार्वजनिक क्षेत्र के 37 केंद्रीय उपक्रमों ने 2013.14 के एमएसएमई क्षेत्र से खरीदारी की। नीति को प्रभावी तरीके से लागू करने को लेकर एमएसएमई मंत्रालय के सचिव ने सार्वजिनक क्षेत्र के 10 केंद्रीय उपक्रमों औऱ रेलवे बोर्ड के साथ बैठकें की हैं।
एमएसई विक्रेताओं की तरक्की के लिएए सभी मंत्रालयों/विभागों/सीपीएसयू से एमएसई आपूर्तिकर्ताओं और सरकारी खरीद एजेंसियों के बीच विक्रेता उत्थान कार्यक्रम (वीडीपी) आयोजित करने का अनुरोध किया गया है। 2013.14 में 56 सीपीएसयू ने एमएसएमई क्षेत्र के लिए 1007 विक्रेता उत्थान कार्यक्रम आयोजित किए। विकास आयुक्त कार्यालय (एमएसएमई) ने अपने क्षेत्र अधिकारियों यानि सुक्ष्म, छोटे और मझोले उद्यमों-विकास संस्थानों के जरिए 2014.15 के दौरान देशभर में 55 राष्ट्रीय विक्रेता उत्थान कार्यक्रम और 351 राज्य विक्रेता उत्थान कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बनाई है। इसके लिए पांच करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है।
एमएसई-समूह विकास कार्यक्रम (सीडीपी)
एमएसएमई मंत्रालय ने सूक्ष्म और लघु उद्यमों के समग्र विकास के लिए एक सामूहिक दृष्टिकोण अपनाया है। इसमें डायग्नोस्टिक अध्ययन, क्षमता सृजन, विपणन विकास, निर्यात संवर्धन, कौशल विकास, प्रौद्योगिकी उन्नयन, कार्यशालाओं, सेमिनारों का आयोजन, प्रशिक्षण, यात्रा अध्ययन आदि जैसे छोटे तरीके और सामान्य सुविधा केन्द्रों की स्थापना, बुनियादी सुविधाओं का उन्नयन (मौजूदा औद्योगिक क्षेत्रों में उन्नत बुनियादी सुविधाओं का विकास/सामूहिक ढांचागत सुविधाओं का उन्नयन) जैसे बड़े कदम शामिल है।
डायग्नोस्टिक अध्ययन के तहत 28 से अधिक राज्यों तथा एक केंद्र शासित प्रदेश में इस तरह के 848 कदम उठाए गए हैं। अधिक से अधिक राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इस योजना के तहत लाने के प्रयास किए गए हैं। एमएसई-सीडीपी के तहत मौजूदा वित्त वर्ष में 30 नवंबर 2014 तक 41.50 करोड़ मंजूर किए गए हैं। एमएसई-सीडीपी को तेजी से लागू करने और इसमें पारदर्शिता को बनाए रखने के लिए एक अप्रैल 2012 से ही ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया शुरू की गई है।
राष्ट्रीय विनिर्माण प्रतिस्पर्धात्मकता कार्यक्रम
एमएसएमई क्षेत्र के लिए राष्ट्रीय विनिर्माण प्रतिस्पर्धात्मकता कार्यक्रम(एनएमसीपी) तैयार करने का उद्देश्य इस क्षेत्र के उद्यमों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ाना है। एमएसएमई क्षेत्र के लिए उपलब्ध और मंजूरी प्राप्त एनएमसीपी के विभिन्न कारक इस प्रकार हैं:
· एमएसएमई क्षेत्र के लिए निम्न क्षमता विनिर्माण प्रतिस्पर्धात्मकता योजना (एलएमसीएस)
· एमएसएमई विनिर्माण क्षेत्र में डिजाइन विशेषज्ञता के लिये डिजाइन क्लीनिक योजना
· एमएसएमई क्षेत्र के लिए विपणन सहयोग और प्रोद्योगिकी उन्नयन योजना
· गुणवत्ता प्रबंधन मानक (क्यूएमएस) और गुणवत्ता प्रौद्योगिकी उपकरण (क्यूटीएस) के माध्यम से विनिर्माण क्षेत्र को प्रतिस्पर्धी बनाना।
· एमएसएमई क्षेत्र के लिये गुणवत्ता उन्नयन प्रौद्योगिकी
· एमएसएमई क्षेत्र के लिए सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) का संवर्धन
· बौद्धिक अधिकारों पर जागरूकता बढाना
· इन्क्यूबेटरों के माध्यम से एसएमई की उद्यमशीलता और प्रबंधकीय विकास के लिए सहायता प्रदान करने को लेकर योजना
प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी)
11वीं योजना (2008.09 से 2011.12) के दौरान इस मंत्रालय के तत्कालीन पीएमआरवाई और आरईजीपी योजनाओं का विलय कर अगस्त 2008 में इस मंत्रालय द्धारा प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) के नाम से राष्ट्रीय स्तर पर एक कर्जसंबद्वअनुदान योजना शुरू की गई थी ताकि अनुमानित 37.38 लाख अतिरिक्त रोजगार के अवसर सृजित किए जा सकें। योजना आयोग द्वारा 12वीं योजना में पीएमईजीपी के लिए 7800 करोड़ रुपये की मार्जिन राशि के रूप में अनुदान सहित 8060 करोड़ रुपये का परिव्यय अनुमोदित किया गया। 2008.09 में इसकी शुरुआत से 2013.14 तक देश में अनुमानित 22.29 लाख लोगों हेतु रोजगार सृजत के लिए में 2.48 लाख ईकाइयों को 4745.15 करोड़ रुपये का अनुदान दिया गया। इस कार्यक्रम के तहत सेवा क्षेत्र में प्रत्येक सुक्ष्म उद्यम को स्थापित करने के लिए 10 लाख से ऊपर की मदद दी जाती है जबकि विनिर्माण क्षेत्र में इसके लिए 25 लाख रुपये प्रदान किए जाते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में उद्यम स्थापित करने के लिए सब्सिडी के रूप में 25 फीसदी (कमजोर तबके के लिए 35 प्रतिशत) से अधिक की मदद दी जाती है जबकि शहरी क्षेत्र के लिए यह राशि 15 प्रतिशत(विशेष श्रेणी में कमजोर वर्ग के लिए 25 प्रतिशत) होती है। इस योजना के तहत 2014.15 के लिए 1418.28 करोड़ रुपये का परिव्यय निर्धारित किया गया है। एमएसएमई की वेबसाइट पर इस योजना से संबद्व दिशानिर्देश दिए गए हैं।
कौशल विकास
मंत्रालय की ओर से प्राथमिकता के तौर पर कौशल विकास के लिए विभिन्न कदम उठाए गए हैं जैसे टूल रूम की प्रशिक्षण क्षमताओं को बढ़ाना, एमएसएमई विकास संस्थान और एमएसएमई मंत्रालय के अधीनस्थ अन्य संगठनों के जरिये विभिन्न उपायों को शुरू किया गया है। प्रशिक्षण कार्यक्रमों की श्रृंखला के रूप में परंपरागत ग्रामीण उद्योगों/ उनकी गतिविधियों से संबंधित जमीनी स्तर के कार्यक्रमों को कवर करनेए सीएनसी मशीनों और अन्य उच्च प्रौद्योगिकियों पर उच्च तकनीकी कार्यक्रम शुरू किए गए हैं। सूक्ष्म/ लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय के अधीन एजेंसियों ने वर्ष 2013.14 के दौरान कौशल विकास के लिए तकरीबन 5.51 लाख कार्यक्रम किए जबकि 2014.15 के लिए 5.20 लाख लोगों को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए सभी प्रशिक्षिण कार्यक्रम निशुःल्क आयोजित करता है। एसएमएसएमई-डीआईएस समाज के कमजोर तबके के लिए पूरे वर्ष विशेष कार्यक्रम आयोजित करता है जिसके तहत संपूर्ण प्रशिक्षण के दौरान प्रत्येक सप्ताह के हिसाब से 125 रुपये का मासिक तौर पर समाज के कमजोर तबकों यानी एससी/एसटी, महिलाओं, विकलांग उम्मीदवारों दिया जाता है।
क्रेडिट गारंटी योजना
एमएसई के लिए ऋण के प्रवाह को सुविधाजनक बनाने के उद्देश्य से सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए सरकार ने क्रेडिट गारंटी फंड स्कीम लागू किया है। इसके तहत खासतौर से लघु उद्यमों के लिए जमानत के तौर पर या तीसरे पक्ष की गारंटी के बिना 100 लाख तक के ऋणों के लिए गारंटी कवर प्रदान किया जाता है। ऋण लेने वालों औऱ उधारदाताओं के लिए इस योजना को और अधिक आकर्षक बनाने के मकसद से इसमें कई सुधार किए गए हैं जिसमें (ए) 100 लाख के लिए ऋण सीमा में वृद्धि (बी) पांच लाख से ऊपर का कर्ज लेने वालों के लिए गारंटी कवर 75% से बढ़ाकर 85% करनाय (सी) एमएसई के स्वामित्व वाले या महिलाओं द्वारा संचालित अथवा पूर्वोत्तर क्षेत्र (एनईआर) के लिए 75% से 80% से गारंटी कवर की बढ़ोतरीय (डी) 5 लाख से अधिक का पहली बार कर्ज लेने वालों के लिए वार्षिक सेवा शुल्क 1.5% से घटाकर 1% से की गई है जो पहले 0.5%से 0.75% थी और (ई) पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए यह 1.5% से घटाकर 0.75% कर दिया गया है आदि कार्यक्रम शामिल है।
30 नवंबर, 2014 की स्थिति के अनुसारए कुल मिलाकर 16,89,439 प्रस्तावों को गारंटी कवर के लिए अनुमोदित किया गया है और इसके लिए कुल स्वीकृत ऋण 84026.76 करोड़ रुपये है।
सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए क्रेडिट लिंक्ड कैपिटल सब्सिडी (सीएलसीएस) योजना
यह योजना अक्टूबर 2000 में शुरू की गई और 2005/09/29 को इसे संशोधित किया गया था। संशोधित योजना का उद्देश्य सूक्ष्म और लघु उद्यमों के प्रौद्योगिकी का उन्नयन करना जिसके तहत संयंत्र और मशीनरी की खरीद के लिए 15% की पूंजी सब्सिडी के रूप में उपलब्ध कराई (अधिकतम 15 लाख रुपये तक) जाती है। इस योजना के तहत अधितम 100 लाख रुपये के ऋण पर सब्सिडी दी जाती है। वर्तमान में, 48 अच्छी तरह से स्थापित और बेहतर प्रौद्योगिकियों/उप क्षेत्रों योजना के अंतर्गत अनुमोदित किया गया है।
सीएलसीएस योजना को सिडबी और नाबार्ड सहित 10 नोडल बैंकों /एजेंसियों के माध्यम से कार्यान्वित किया जाता है।
विपणन सहायता योजना
विपणन सहायता योजना का मुख्य उद्देश्य सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के बीच विपणन प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ावा देना है। जिससे व्यक्तिगत /संस्थागत खरीदारों के साथ बातचीत के लिए उन्हें एक मंच प्रदान किया जा सके। इससे उनको बाजार के प्रचलित हालातों साथ अद्यतन करने और उनकी समस्याओं को दूर करने जरिया मिले। सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम लिमिटेड(एनएसआईसी) विपणन प्रयासों को बढ़ावा देने और विभिन्न घरेलू और अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनियों /व्यापार मेलों, खरीददारों विक्रेता से मिलता है, गहन अभियान / सेमिनार और अन्य विपणन पदोन्नति में भाग लेने / आयोजन के माध्यम से नए बाजार अवसरों को हासिल करने के लिए एमएसएमई की योग्यता बढ़ाने के लिए एक सुविधा के रूप में कार्य करता है। एनएसआईसी इस मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में है।
इन गतिविधियों के लिए बजट में 14.00 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई है जिसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय और घरेलू प्रदर्शनियों / व्यापार मेलों और क्रेता-विक्रेता से मिलाने और विपणन अभियानों में भागीदारी कराने का है।
प्रदर्शन और क्रेडिट रेटिंग स्कीम
एमएसएमई मंत्रालय के तहत काम करने वाला सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम लिमिटेड (एनएसआईसी), सरकार की ओर सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए प्रदर्शन और क्रेडिट रेटिंग स्कीम को लागू किया है। इस योजना को मान्यता प्राप्त सात रेटिंग एजेंसियों क्रिसिल, एसएमईआरए, ओनिकराए केयर, फिच, आईसीआर, और मिसेस ब्रिक्सवर्क्स के माध्यम से संचालित किया जा रहा है। इस इस योजना का मकसद सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों के बीच अपनी ताकत एवं उनके मौजूदा संचालन की कमजोरियों के बारे जागरूकता पैदा करना है। साथ ही उन्हें अपने संगठनात्मक ताकत और ऋण पात्रता बढ़ाने के लिए एक अवसर प्रदान करना है। इस योजना के तहत रेटिंग सूक्ष्म, लघु और मझौले उद्यमों के लिए उनकी क्षमताओं पर एक विश्वसनीय तीसरे पक्ष की तौर पर राय देने का कार्य करता है। बैंकों / वित्तीय संस्थाओं, ग्राहकों / खरीदारों और विक्रेताओं में एक मान्यता प्राप्त रेटिंग एजेंसी द्वारा एक स्वतंत्र रेटिंग को अच्छी स्वीकृति मिली हुई है।
इस योजना के अंतर्गत, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों के लिए पहले वर्ष के लिए रेटिंग शुल्क में रियायत मिली हुई है। इस दौरान उन्हें 40000 रुपये पर अधिकतम 75 प्रतिशत राशि का भुगतान करना पड़ता है। इस योजना के लिए 2014.15 के लिए 70.00 करोड़ रुपये होगी और इस दौरान 16.000 एमएसई की रेटिंग करने का इसका लक्ष्य होगा।
अंतर्राष्ट्रीय सहयोग योजना
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय 1996 से अंतरराष्ट्रीय सहयोग योजना का संचालन कर रहा है। प्रौद्योगिकी आसव और / या भारतीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई), उनके आधुनिकीकरण तथा उनके निर्यात को बढ़ावा देने के उन्नयन योजना के महत्वपूर्ण उद्देश्य हैं।
इस योजना में निम्नलिखित गतिविधियां शामिल है:
· दूसरे देशों में विदेशी सहयोग से संयुक्त उद्यमों की सुविधा, प्रौद्योगिकी उन्नयन के नए क्षेत्रों की तलाश के लिए, एमएसएमई के उत्पादों के बाजार में सुधार आदि के लिए एमएसएमई व्यापार प्रतिनिधिमंडलों की प्रतिनियुक्ति करता है।
· भारतीय एमएसएमई अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनियों, व्यापार मेलों और क्रेता-विक्रेता मेलों और यहां तक की भारत में भी आयोजित होने वाले ऐसे आयोजनों हिस्सा लेते हैं। विदेशी देशों की मदद से ही भारत की यह अंतरराष्ट्रीय भागीदारी होती है।
· एमएसएमई क्षेत्र के हितों को ध्यान में रखकर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों और संगोष्ठियों का आयोजन किया जाता है।
· इसके तहत वर्ष 2014-15 के लिए 5.00 करोड़ रुपये का बजट रखा गया और उम्मीद है कि 650 उद्यमी 50 अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में हिस्सेदारी करेंगे।
प्रशिक्षण संस्थानों को सहायता
इस योजना के अंतर्गत उद्यमिता विकास संस्थान (ईडीआई) की स्थापना के लिए मौजूदा और नए प्रशिक्षण संस्थानों को सहायता दी जाती है ताकि वे प्रशिक्षण के बुनियादी ढांचे मजबूत कर सकें। मंत्रालय मैचिंग के आधार पर (केंद्र और राज्य सरकारी की साझेदारी) सहायता मुहैया कराता है जो परियोजना लागत के 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होता है या 150 लाख रुपये से कम होता है (संघ शासित प्रदेशों अंडमान एवं निकोबार और लक्षद्वीप द्वीप समूह में राज्यस्तरीय ईडीआई की स्थापना के लिए 90 फीसदी की सहायता देता जो 270 लाख रुपये से कम होना चाहिए)। इसमें भूमि और कार्यशील पूंजी की लागत शामिल नहीं होती है। इसमें 50 फीसदी की हिस्सेदारी (संघ शासित प्रदेशों में अंडमान एवं निकोबार और लक्षद्वीप द्वीपसमूह में राज्य स्तर ईडीआई के लिए 10 प्रतिशत) संबंधित संस्थान, राज्यध्संघ शासित प्रदेश सरकारए सार्वजनिक वित्त पोषित संस्थानों, गैर सरकारी संगठनों, ट्रस्टों, बैंकों, कंपनियों, सोसायटियों अथवा स्वैच्छिक संगठनों का होता है।
सहायता बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए दिया जाएगा। संस्था बनाने के लिए भूमि राज्य सरकार या किसी अन्य संस्था द्वारा अथवा आवेदक द्वारा मुहैया कराई जाती है। एक बात साफ कर दें कि वित्तीय सहायता केवल भवन निर्माण, प्रशिक्षण उपकरणों औऱ कार्यालय संबंधी उपकरणों, कंप्यूटरों की खरीद तथा अन्य सेवाओं जैसे पुस्तकालयों / डाटा बेस आदि के लिए दी जाती है। भूमि की लागतए स्टाफ क्वार्टर आदि के निर्माण के केंद्र सरकार से अनुदान नहीं मिलता है। इस योजना के तहत सभी प्रस्तावों के लिए संबंधित राज्य /संघ राज्य सरकार के सिफारिश की आवश्यकता होती है।
प्रशिक्षण का एक नया घटक इस योजना के तहत जोड़ा गया है। इसके अनुसार उद्यमिता कौशल विकास कार्यक्रम (ईडीपीएस), उद्यमिता सह कौशल विकास कार्यक्रम (ईएसडीपीएस) और प्रशिक्षकों को प्रशिक्षण(टॉट्स) निम्न प्रशिक्षण संस्थानों में मुहैया कराने पर निम्नलिखित योजना के तहत सहायता मुहैया कराई जाएगी:
· राष्ट्रीय स्तर के उद्यमिता कौशल विकास संस्थानों(इसमें इनकी शाखाएं भी शामिल हैं)
· राष्ट्रीय स्तर के उद्यमिता कौशल विकास संस्थानों की साझेदीरी में संस्थानों की स्थापना हो।
· प्रशिक्षण/एनएसआईसी के केंद्र
· एनएसआईसी के फ्रेचाइजी द्धारा प्रशिक्षण या उसके अन्य केंद्रों द्धारा स्थापित
· अन्य सिद्ध व्यावसायिक दक्षता से परिपूर्ण प्रशिक्षण संस्थानों, जिन्हें इस योजना के तहत स्वीकृति मिली हुई हो।
उद्यमिता कौशल विकास (ईएसडीपी) प्रशिक्षण सामान्य तौर पर 100 से 300 घंटे(एक से तीन महीने) का होता है। उद्यमिता विकास (ईडीपी) प्रशिक्षण 72 घंटे(दो सप्ताह का होता है) जबकि प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण 300घंटे का होता है। इस योजना को लेकर वर्ष 2014-15 के लिए 132 करोड़ आवंटित किया गया है और इसका लक्ष्य मौजूदा तथा नए उद्यमिता संस्थानों द्वारा 1,37,885 लोगों को प्रशिक्षित करना है।
उद्यमी हेल्पलाइन
उद्यमी हेल्पलाइन (एमएसएमई का कॉल सेंटर) टोलफ्री नंबर 1800-180-6763 के जरिये उद्यमियों को सरकार के विभिन्न प्रोत्साहन योजनाओं के बारे में सूचना, मार्गदर्शन दी जाती है। साथ ही उन्हें उद्यम स्थापित करने, बैंक से ऋण लेने की जानकारी भी दी जाती है। इसके अलावा इस हेल्पलाइन के जरिये आवश्यक प्रक्रियात्मक औपचारिकताओं की भी जानकारी मुहैया कराई जाती है। उदयमी हेल्पलाइन मंत्रालय की विभिन्न योजनाओं के बारे में जानकारी लेने के लिहाज से उद्यमियों और आम लोगों उपयोगी सिद्ध हुई है।
खादी एवं ग्राम उद्योग पर जोर
यह बड़े गर्व की बात है कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के तीन अक्टूबरए 2014 को रेडियो संबोधन 'मन की बात' में लोगों से जीवन में खादी के कम से कम एक उत्पाद के इस्तेमाल के लिए की गई अपील के बाद खादी और ग्रामोद्योग के उत्पादों की बिक्री ने लंबी छलांग लगाई है।प्रधानमंत्री ने कहा, 'यदि आप खादी खरीदते हैं, तो आप एक गरीब व्यक्ति के घर में समृद्धि के चिराग की रोशनी करते हैं।' इससे खादी क्षेत्र को एक नई ऊर्जा मिली और नई दिल्ली स्थित खादी ग्रामोद्योग भवन में पिछले साल की तुलना में इस साल 125% की खादी बिक्री में वृद्धि दर्ज की गई। 2 नवंबर 2014 को अपने इसी कार्यक्रम में माननीय प्रधानमंत्री द्वारा यह बात स्वीकार की गई। माननीय प्रधानमंत्री की अपील ने इस देश के अधिक से अधिक लोगों के बीच खासकर युवाओं में एक भावनात्मक प्रतिक्रिया पैदा की जिससे खादी क्षेत्र को एक नया जीवनदान मिला। खादी और ग्रामोद्योग योग(केवीआईसी) ने इस अवसर पर नई दिल्ली स्थित खादी ग्रामद्योग की मरमम्त पूरी कर ली है। इससे खादी और ग्रामोद्योग के उत्पादों पश्मीना, दुल्हन के लिबास, देश भर से साड़ियों की व्यापक रेंज सहित डिजाइनर वस्त्रए घर प्रस्तुत, असबाब, सभी आयु समूहों के लिए ऊनी कपड़ों, कपड़ा बाजार के सभी वर्गों को कवर करने के लिए प्रदर्शन सुनिश्चित हो सकेगा। साथ ही बच्चों के कपड़े, औपचारिक पोशाकए कैजुवल वीयर औऱ रेडीमेड कपड़ों को भी अच्छे से प्रदर्शित किया जा सकेगा। इसके अलावा इस तरह के हस्तनिर्मित कागज और उत्पाद, शहद, प्राकृतिक साबुन, इंसेंस लाठी, हर्बल सौंदर्य तथा स्वास्थ्य संबंधी उत्पाद, आभूषण और उपहार आइटम एवं सजावटी, घरेलू कलाकृतियां, खाने के लिए तैयार सामान, किराने की वस्तुओं, जैविक कृषि उत्पादों सहित ग्रामोद्योग उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखला यहां उपलब्ध होगी।
युवाओं के ध्यान में रखते हुए केवीआईसी ने अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस औऱ गांधी जयंती के अवसर पर छात्रों के लिए विशेष छूट दे रहा है। साथ ही युवाओं को आकर्षित करने के लिए केवीआईसी खादी को कॉलेज में वार्षिक उत्सवों, फैशन शो, जागरूकता कार्यक्रमों और प्रतियोगिताओं के आयोजन के जरिये स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों, आईआईटीऔर अन्य शैक्षणिक / तकनीकी संस्थानों में ले जा रहा है।
इसके अलावा, केवीआईसी रेलवे और रक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों के लिए और घरेलू निर्माताओं तथा आपूर्तिकर्ताओं के लिए खादी उत्पादों की एक लंबे समय के लिए आपूर्तिकर्ता बन गया है। केवीआईसी ने आक्रामक तरीके से इस क्षेत्र को विस्तारित करने के लिए कमर कस ली है।
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