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Kaise Shuru Karein Herbal Shampoo Business, Make Profits in Herbal Cosmetic Business

कैसे शुरू करें हर्बल शैम्पू बिज़नेस, Make Profits in Herbal Cosmetic Business, Herbal Shampoo making Business Ideas, हर्बल शैम्पू उद्योग

 

जड़ी बूटियों और अन्य प्राकृतिक अवयवों से बने पर्सनल केयर उत्पादों का उपयोग करने के प्रति जागरूकता बढ़ने लगी है। केश सज्जा के लिए वर्तमान में उपलब्ध उत्पादों में शैम्पू का एक महत्वपूर्ण स्थान है। बालों के स्वास्थ्य एवं सौंदर्य के प्रति बढ़ती जागरूकता एवं साफ-सफाई के प्रति बढ़ती जागरूकता के कारण हर्बल शैम्पू की लोकप्रियता दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। महिलाओं के साथ ही पुरुषों और बालकों तक में केश धोने के लिए शैम्पुओं का प्रचलन बहुत अधिक बढ़ चुका है। पूर्व में हर्बल शैम्पू का उपयोग उच्च एवं उच्च मध्यम वर्ग के शहरी परिवारों तक ही सीमित था लेकिन जागरूकता बढ़ने के साथ ही हर्बल शैम्पू का उपयोग अब ग्रामीण घरों तक में अपनी जगह बना चुका है। हर्बल शैम्पू का उपयोग बालों को स्वस्थ, चमकदार, मुलायम काले एवं मजबूत बनाने के लिए किया जाता है। हर्बल शैम्पू बनाने के लिए सभी सामग्री आसानी से उपलब्ध हो जाती है। अतः यह उद्योग किसी भी स्थान पर आसानी से शुरू किया जा सकता है।

इस दृष्टि से इसमें निम्नानुसार पदार्थों का मिश्रण किया जाता हैः-

आंवला            बालों को मजबूत एवं काला बनाने के लिए

रीठा                 बालों की सपफाई के लिए

शिकाकाई       बालों को मुलायम बनाने के लिए

ब्राम्ही              ठंडाई के लिए

नीम पत्ते          बालों के स्वास्थ्य के लिए

एसिड स्लरी    सफाई के लिए

सीएचजी         परिरक्षक (प्रिजर्वेटिव) के तौर पर

अन्य                जैसे सुगंध एवं रंग

विपणन संभावना

बदलते समय के साथ उपभोक्ताओं में हर्बल शैम्पू उपयोग करने के फायदे के प्रति जागरूकता बढ़ने लगी है। रासायनिक शैम्पू के विपरित हर्बल शैम्पू का उपयोग करने से कोई साइड इपेफक्ट होने की भी सम्भावना नहीं होती।

शैम्पू की भविष्य की मांग प्रति व्यक्ति उपभोग की दर एवं उपयोग करने वाले लोगों की संख्या पर निर्भर है। जहां तक इसके उपभोक्ताओं की बात है तो यह सर्वविदित है कि अधिकांश उपभोक्ता अभी भी शैम्पू का उपयोग सप्ताह में एक या दो बार ही करते हैं। इसकी प्रति व्यक्ति सालाना औसत खपत एक से डेढ़ किलो है। इसका अर्थ यह है कि औसत आकार के परिवार को प्रति माह लगभग 500 एमएल शैम्पू की आवश्यकता होती है। मध्यम वर्गीय परिवारों की संख्या में वृद्धि के साथ ही शैम्पू की मांग में भी पूर्व की अपेक्षा बढ़ोतरी देखी गई है। जिसके कारण हर्बल शैम्पू की निर्माण इकाई स्थापित करके उत्पादक भविष्य में बढ़ती मांग की पूर्ति करने में सहायक सिद्ध हो सकते हैं तथा अच्छा लाभ कमा सकते हैं।

वैश्विक शैंपू बाजार 201 9 तक 25.73 अरब डॉलर के अनुमानित मूल्य तक पहुंचने की उम्मीद है।

India's cosmetic market was growing with a CAGR of 17.06% over a period of five years.

The herbal cosmetics industry is expected to grow at a rate of 12% in India. Indian Herbal Cosmetic industry is expected to reach INR 316 Billion by 2022, growing at a CAGR of 19% over the forecasted period of 2017-2022.

The Size of Indian Cosmetics Industry Globally is $274 billion, while that of the Indian Cosmetics industry is $ 4.6 billion. The current size of the Cosmetics Industry is approx. US$600 million. Industry Sources estimate a rapid growth rate of 20% per annum across different segments of the Cosmetics industry with an increasing demand of all types of beauty & personal care products.

The market size of India's beauty, cosmetic and grooming market will touch 20 billion dollars by 2025 from the current level of 6.5 billion dollars on the back of rise in disposable income of middle class and more and more people aspiring to live good life and look good.

The global hair care market was valued at US$81.3 bn in 2015 and is expected to reach US$105.3 bn by 2024, registering a steady 3.0% CAGR during the forecast period.

निर्माण प्रक्रिया

आंवला, रीठा एवं शिकाकाई बारीक पीस कर छलनी से छान लिया जाता है तथा रात पर पानी में भिगा कर रखा जाता है। उपरोक्त सभी तीनों पदार्थों एवं पानी का मिश्रण 1:1 के अनुपात में रखा जाता है। आंवला, रीठा एवं शिकाकाई की मात्रा भी 1:1:1 में होनी चाहिए।

उपरोक्त सभी पदार्थों का जलीय मिश्रण फेंट कर पेस्ट के रूप में तैयार किया जाता है तथा इसे तीन में चार घंटे तक गर्म किया जाता है। गर्म करते समय तापमान 60 डिग्री सेण्टीग्रेड से 70 डिग्री सेण्टीग्रेड के बीच होना चाहिए। गर्म करने के बाद इन पदार्थों का पात्र से अलग करके ठंडा होने के लिए रख देना चाहिए। इस प्रकार प्राप्त संपूर्ण मिश्रण को पुनः पानी मिलाकर इसका जलीय विलयन तैयार करना चाहिए।

प्राप्त उत्पाद काले लाल भूरे रंग का होता है जिसे सक्रिय चारकोल या सक्रिय मुलतानी मिट्टी से उपचारित कर हल्के रंग का या पारदर्शी बनाया जाता है। शैम्पू के पीएच को समायोजित करने के लिए पोटेशियम कार्बोनेट का उपयोग किया जा सकता है। बेहतर झाग के लिए एसएलएस (SLS Sodium Lauryl Sulfate (forming ingredient) का उपयोग किया जाता है। प्रक्रिया के दौरान किसी अवक्षेप के मिल जाने पर उसे छान कर हटा देना चाहिए। इस प्रक्रिया से प्राप्त शैम्पू में सुगंध, रंग, परिरक्षक, पायसीकारक/विलंबित अभिकर्मक आदि मिलाना चाहिए। इससे भी बेहतर परिणाम के लिए नीम एवं मेंहदी के पत्तों के पानी का उपयोग किया जा सकता है।

 

आय-व्यय योजना (Cost Estimation)वार्षिक: हबैल शैम्पू

            1.         उत्पादन क्षमता                                                                      40 Ltrs/day

            2.         कुल भूमि (Total land)                                                           350 Sq. Mt.

            3.         निर्मित भूमि (Build up Area)                                    210 Sq. Mt.

            4.         कुल कर्मचारियों की संख्या (No. of Employees)                13

            5.         मशीन और उपकरण (Machinery & Euipment)                  6.20 lakh

            6.         कुल अचल पूंजी लागत (Total Fixed Capital                       12.16 lakh

            7.         कार्यशील पूंजी मार्जिन (Working Capital Margin)             1.46 lakh

            8.         परियोजना लागत (Project Cost)                                         13.61 lakh

            9.         कुल प्राप्ति (आय) (Total Income)                                          51.00 lakh

            10.       लाभ और कुल-पूंजी निवेश का अनुपात (Profit & total Capital Investment Ratio)                                                                                             21.72%

            11.       ब्रेक इवन पॉइंट (Break & Even Point                                           78.30%

 

 

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