Laghu V Kutir Udyog (Small Scale Industries) 5th Revised Edition (Hindi Language) लघु व कुटीर उद्योग (स्मॉल स्केल इण्डस्ट्रीज़) ( ) ( Best Seller ) ( ) ( ) ( )
Author NPCS Board of Consultants & Engineers ISBN 9789381039656
Code ENI90 Format Paperback
Price: Rs 1150   1150 US$ 30   30
Pages: 664 Published 2017
Publisher Niir Project Consultancy Services
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Note: This book is in Hindi Language

 

लघु व कुटीर उद्योग (स्मॉल स्केल इण्डस्ट्रीज़) 5th Revised Edition (Hindi Language)

 

प्रत्येक व्यक्ति के मन में उद्यमी बनने, सम्पत्ति कमाने, नाम कमाने तथा आत्मनिर्भर बनने की इच्छा होती है। मूलतः उद्यमी होने के लिए पाँच कसौटियाँ हैं। उद्यमी बनने का निर्णय करने पर इन कसौटियों को पार करने के लिए उचित 'अभ्यास' करना आवश्यक है। सम्पत्ति अर्जित करने के लिए लगन, स्वभाव और आचार में लचीलापन, व्यवसाय प्रक्रिया के रहस्य की जानकारी, उद्योग की श्रृंखला, परस्पर सम्बन्ध निर्माण करने की तैयारी तथा बिना थके, बिना निराश हुए कोशिश करते रहने की मानसिक - शारीरिक - सांस्कृतिक तैयारी। भारत जैसे विकासशील अर्थव्यवस्था के विकास में लघु उद्योग एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। लघु उद्योग स्थानीय संसाधनो का उचित / इष्टतम उपयोग द्वारा स्थानीय आवश्यकताओं की पूर्ति करने के अवसर प्रदान करते है।

 

लघु उद्योग में हुए विकास ने आधुनिक तकनीक अपनाने तथा लाभकारी रोजगार में श्रम शक्ति का अवशोषण करने के लिए उद्यमशीलता की प्रतिभा का उपयोग करने को प्राथमिकता प्रदान की है जिससे उत्पादकता और आय के स्तर को बढ़ाया जा सके। लघु उद्योग उद्योगो के प्रसार तथा स्थानीय संसाधनों के उपयोग में सुविधा प्रदान करते हैं।

 

 

स्टार्टअप इंडिया स्टैंडअप इंडिया

स्टार्टअप इंडिया स्टैंडअप इंडिया, भारत के युवाओं के उज्ज्वल भविष्य के लिये सरकार द्वारा चलाया गया नया अभियान है। ये अभियान देश के युवाओं के लिये नये अवसर प्रदान करने के लिये बनाया गया है। ये पहल युवा उद्यमियों को उद्यमशीलता में शामिल करके बहुत बेहतर भविष्य के लिये प्रोत्साहित करेगी। ये पहल भारत का सही दिशा में नेतृत्व के लिये आवश्यक है।

स्टार्ट अप इंडिया स्टैंड अप इंडिया योजना का मुख्य उद्देश्य उद्यमशीलता को बढ़ावा देना हैं जिससे देश में रोजगार के अवसर बढ़े | यह एक ऐसी योजना हैं जिसके तहत नये छोटे-बड़े उद्योगों को शुरू करने के लिए सरकार द्वारा प्रोत्साहन दिया जायेगा जिसमे ऋण सुविधा, उचित मार्गदर्शन एवं अनुकूल वातावरण आदि को शामिल किया गया हैं।

हमारा उद्देश्य इस पुस्तक के माध्यम द्वारा उद्यमियों को लघु उद्योग शुरू करने संबंधी उपयोगी मार्गदर्शन एवं उन्हें मिलने वाली सरकारी सुविधाओं की जानकारी प्रदान करना है। इस पुस्तक में लघु क्षेत्र में संचालित होने वाले ऐसे प्रमुख उद्योगों के विषय में हर वह जानकारी दी गयी है, जिसकी सहायता से कोई भी व्यक्ति सफलता के पथ पर अग्रसर हो सकता है।

 

इस पुस्तक में वित्तीय परियोजना का विवरण दिया गया है और इन वित्तीय परियोजना के माध्यम से विभिन्न उद्योगो की उत्पादन क्षमता (Production Capacity), भूमि एवं भवन (Land & Building), मशीन एवं उपकरण (Machinery & Equipment) तथा कुल अनुमानित लागत (Estimated Capital Investment) आदि की जानकारी दी गयी है। साथ ही कच्चे माल के आपूर्तिकर्ताओं (Raw Material Suppliers), संयंत्र और मशीनरी के आपूर्तिकर्ताओं (Plant & Machinery Suppliers) के पते तथा मशीनरी के चित्र (Machinery Photographs) दिए गए है जिससे उद्यमी ज्यादातार लाभ उठा सकें।

प्रस्तुत पुस्तक में उपलब्ध उद्योग इस प्रकार है :- लेखन सामग्री का उत्पादन, आयुर्वेदिक फार्मेसी, सौंदर्य व श्रृंगार प्रसाधन उद्योग, प्रिंटिंग इंक उद्योग, अगरबत्ती उद्योग, आइस-क्रीम उद्योग, डेरी उद्योग, कन्फैक्शनरी उद्योग, मोमबत्ती उद्योग, वाशिंग डिटरजेंट पाउडर, पापड़, बड़ियां और चाट मसाला उद्योग, लैटेक्स रबड़ उद्योग, रबड़ की हवाई चप्पल बनाना, प्लास्टिक वस्तुओं का उत्पादन, पॉलीथीन शीट उद्योग, प्लास्टिक की थैलियां, पेपर पिन (आलपिन) तथा जेम-क्लिप बनाना, तार से कीलें बनाना, टीन के छोटे डिब्बे - डिब्बियां, कॉर्न फ्लेक्स, फलों व सब्जियों की डिब्बाबन्दी एवं संरक्षण, खिलौना और गुड़िया उद्योग, दियासलाई उद्योग, मसाला उद्योग, डबल रोटी उद्योग, इस्तेमाल किये गये इंजन ऑयल का पुनर्शोधन, ग्रीस उत्पादन, कटिंग ऑयल, एढैसिव उत्पादन उद्योग, मच्छर भगाने की क्रीम, सर्जिकल कॉटन, सर्जिकल बैंडेज उद्योग, होजरी उद्योग, रेडीमेड गारमेंट उद्योग, स्विच और प्लग उद्योग, ड्राई सैल बैटरी, बोल्ट एवं नट उद्योग, सोप एंड क्लीनर्स इंडस्ट्री, सिल्क स्क्रीन द्वारा कपड़ों पर छपाई, बिस्कुट उद्योग, चीनी उद्योग (खांडसारी), इलैक्ट्रोप्लेटिंग इंडस्ट्री, टायर रिट्रीडिंग उद्योग, खाद्य रंगों का निर्माण, फलों और फूलों के एसेन्स, मक्खन और मसालों की सुगन्धें, चिप्स तथा वेफर्स, नूडल्स एवं सेवइयां, माल्ट फूड तथा माल्ट मिश्रित पेय, मक्का स्टार्च, पान मसाले तथा गुटके, सुगंधित जाफरानी ज़र्दा, किवाम तथा मसाले, हुक्के सुगन्धित तम्बाकू, नसवार पाउडर और पेस्ट, सूखी संरक्षित और डिब्बा बंद सब्जियां, सॉसेज, केचअप व अचार, दुग्ध पाउडर, घी, पनीर, कत्था निर्माण उद्योग, पेंट निर्माण उद्योग आदि ।

नये उद्यमियों, व्यवसायिओं, तकनीकी परामर्शदाताओं आदि के लिए यह पुस्तक अमूल्य मार्गदर्शक सिद्ध होगी।

 

 

Laghu V Kutir Udyog (Small Scale Industries) 4th Revised Edition (Hindi Language)

 

The small scale sector is assuming greater importance every day. Hundreds of thousands of people start their own businesses every year, and untold more dream about the possibility of becoming their own bosses. While entrepreneurship has its many potential rewards, it also carries unique challenges. Entrepreneurship is an act not a born tact, you need to understand the environment to set up an enterprise of you own. Setting up a business requires many things like understanding yourself, understanding market and availing funds are certain basic things that one must mandatorily know before making a business decision. Entrepreneurship helps in the development of nation.

A successful entrepreneur not only creates employment for himself but for hundreds. Deciding on a right project can lead you to the road to success. But it is a perception that for owning a business you should have handsome amount of money. Now it is possible with small scale business. An entrepreneur requires a continuous flow of funds not only for setting up of his/ her business, but also for successful operation as well as regular up gradation/ modernization of the industrial unit. To meet this requirement, the Government (both at the Central and State level) has been undertaking several steps like setting up of banks and financial institutions; formulating various policies and schemes, etc. All such measures are specifically focused towards the promotion and development of small and medium enterprises. In both developed and developing countries, the Government is turning to small and medium scale industries and entrepreneurs, as a means of economic development and a veritable means of solving problems. It is a seedbed of innovations, inventions and employment. You do not need to be a genius to run a successful small business, but you do need some help. And that is exactly what this book is, a guide into the stimulating world of small business ownership and management. The book contains the aspects to plan any business strategy step by step.

 

Startup India Stand up

Our Prime Minister unveiled a 19-point action plan for start-up enterprises in India. Highlighting the importance of the Standup India Scheme, Hon’ble Prime minister said that the job seeker has to become a job creator. Prime Minister announced that the initiative envisages loans to at least two aspiring entrepreneurs from the Scheduled Castes, Scheduled Tribes, and Women categories. It was also announced that the loan shall be in the ten lakh to one crore rupee range.

A startup India hub will be created as a single point of contact for the entire startup ecosystem to enable knowledge exchange and access to funding. Startup India campaign is based on an action plan aimed at promoting bank financing for start-up ventures to boost entrepreneurship and encourage startups with jobs creation.

Startup India is a flagship initiative of the Government of India, intended to build a strong ecosystem for nurturing innovation and Startups in the country. This will drive sustainable economic growth and generate large scale employment opportunities. The Government, through this initiative aims to empower Startups to grow through innovation and design.

What is Startup India offering to the Entrepreneurs?

Stand up India backed up by Department of Financial Services (DFS) intents to bring up Women and SC/ST entrepreneurs. They have planned to support 2.5 lakh borrowers with Bank loans (with at least 2 borrowers in both the category per branch) which can be returned up to seven years.

PM announced that “There will be no income tax on startups’ profits for three years”

PM plans to reduce the involvement of state government in the startups so that entrepreneurs can enjoy freedom.

No tax would be charged on any startup up to three years from the day of its establishment once it has been approved by Incubator.

The book contains addresses of raw material suppliers, plant & machinery suppliers and more aspects that will help start and maintain a new business. Some of the important project described in the book are incense stick, cosmetic & toiletries, printing ink industry, ice cream, dairy industry (cheese, cream, butter etc.), confectionery industry, candle manufacturing, washing detergent powder, polythene sheet, green peas canning, adhesive manufacturing industry, surgical cotton etc.

The identification of a suitable project within the investment limit of a new entrepreneur is very difficult. The present book strives to meet this specific entrepreneurial need. The book contains processes formulae, brief profiles of various projects which can be started in small investment without much technical knowledge at small place. This is very useful publication for new entrepreneurs, professionals, libraries etc.

 

 

 

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स्वरोजगार बेहतर भविष्य का नया विकल्प, अमीर बनने के तरीके, अवसर को तलाशें, आखिर गृह और कुटीर उद्योग कैसे विकसित हो, आधुनिक कुटीर एवं गृह उद्योग, आप नया करोबार आरंभ करने पर विचार कर रहे हैं, उद्योग से सम्बंधित जरुरी जानकारी, औद्योगिक नीति, कम पूंजी के व्यापार, कम पैसे के शुरू करें नए जमाने के ये हिट कारोबार, कम लागत के उद्योग, कम लागत वाले व्यवसाय, कम लागत वाले व्यवसाय व्यापार, कारोबार बढाने के उपाय, कारोबार योजना चुनें, किस वस्तु का व्यापार करें किससे होगा लाभ, कुटीर उद्योग, कुटीर और लघु उद्यमों योजनाएं, कैसे उदयोग लगाये जाये, कौन सा व्यापार करे, कौन सा व्यापार रहेगा आपके लिए फायदेमंद, क्या आप अपना कोई नया व्यवसाय, व्यापारकारोबार, स्वरोजगार, छोटा बिजनेस, उद्योग, शुरु करना चाहते हैं?, क्या आपको आर्थिक स्वतंत्रता चाहिए, क्या व्यापार करे, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग, खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों हेतु स्थापना, छोटा कारोबार शुरु करें, छोटे पैमाने की औद्योगिक इकाइयाँ, छोटे मगर बड़ी संभावना वाले नए कारोबार, छोटे व्यापार, नया कारोबार, नया बिजनेस आइडिया, नया व्यवसाय शुरू करें और रोजगार पायें, नया व्यापार, परियोजना प्रोफाइल, भारत के लघु उद्योग, भारत में नया कारोबार शुरू करना, रोजगार के अवसर, लघु उद्योग, लघु उद्योग की जानकारी, लघु उद्योग के नाम, लघु उद्योग के बारे, लघु उद्योग माहिती व मार्गदर्शन, लघु उद्योग यादी, लघु उद्योग शुरू करने सम्बन्धी उपयोगी, लघु उद्योग सूची, लघु उद्योगों का वर्गीकरण, लघु उद्योगों की आवश्यकता, लघु उद्योगों के उद्देश्य, लघु उद्योगों के प्रकार, लघु उधोग की जानकारी, लघु एवं कुटीर उद्योग, लघु कुटीर व घरेलू उद्योग परियोजनाएं, व्यवसाय लिस्ट, व्यापार करने संबंधी, व्यापार के प्रकार, सुक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों, स्टार्ट अप इंडिया, स्टार्ट अप इंडिया स्टैंड अप इंडिया, स्टार्टअप क्या है, स्टार्टअप योजना, स्वरोजगार, स्वरोजगार के अवसर, स्वरोज़गार परियोजनाएं, लघु उद्योगों की सम्पूर्ण जानकारी की किताब, सफल उद्योगों की गाइड, क्या आप खुद का बिज़नस करना चाहते हैं, लघु उद्योगों की विस्तृत जानकारी

विषय-सूची

लघु उद्योग शुरू करने सम्बन्धी उपयोगी मार्गदर्शन एवं उन्हें मिलने वाली सरकारी सुविधाएं
उपयुक्त उद्यम का चुनाव कैसे करें
सरकारी सुविधाएं
लघु उद्योगों के लिए ऋण की सुविधाएं
साधारणत: ऋण दो प्रकार के होते हैं
(क) राज्य सरकारों से मिल सकने वाला ऋण
ब्याज की दर
ऋण सम्बन्धी अन्य जानकारी
(ख) 'राजकीय वित्त निगम अधिनियम' के अन्तर्गत मिल सकने वाला ऋण
(ग) स्टेट बैंक आफ इंडिया की ऋण योजना
(घ) ऋण संबंधी अन्य सरकारी योजना
1. साधारणत
2. बीज धन योजना (Seed Capital Scheme)
3. महिला-उद्यम निधि (Mahila Udyan Nidhi-Mun)
औद्योगिक रूप में पिछड़े क्षेत्रों को मिलने वाली सुविधाएं
किश्तों पर मशीनें खरीदने की सुविधाएं
मशीनरी प्राप्त करने के अन्य श्रोत
कच्चे माल की प्राप्ति (Availability of Raw Material)
देशी स्रोतों से उपलब्ध कच्चे माल का कोटा कहां-कहां से मिलता है?
प्रशिक्षण सम्बन्धी सुविधाएं (Training Facilities)
लघुस्तर का उद्योग कैसे लगाएं?
वस्तु का चुनाव (Production Selection)
प्रोत्साहन सुविधाएं (Incentive facilities)
संगठन के प्रकार (Types of Consttution)
परियोजना प्रतिवेदन की उपलब्धता

औद्योगिक परियोजनाओं हेतु वांछनीयता की कसौटियां
(1) परियोजना-विशेष, जिसके चयन की योजना है अथवा पूंजी-बहुल
(2) उद्योगों को आकार
(3) विदेशी मुद्रा अर्जन
(4) व्यावसायिक लाभ
(5) राष्ट्रीय आर्थिक लाभ
(6) परियोजनाओं का चुनाव

औद्योगिक परियोजनाओं के लिए वित्त का प्रावधान कैसे किया जाये?
घरेलू श्रोतों से इक्वीटी अथवा शेयर कैपिटल बढ़ाना

उद्योग लगाने की प्रक्रिया
औद्योगिक संस्थान के भिन्न-भिन्न प्रकार

लेखन सामग्री का उत्पादन
(क) चॉक (Chalk)
कच्चा माल (Raw Material)
चॉक बनाने के यन्त्र
उत्पादन विधि (Manufacturing Process)
चॉक की पैकिंग
मशीन एवं उपकरण (Machinery & Equipments)
(ख) स्लेट-पेन्सिल (Slate- Pencil)
स्लेट पेन्सिल बनाने की मशीन
स्लेट पेन्सिल बनाने की विधि
मशीनरी एवं उपकरण (Machinery & Equipments)
आय-व्यय (Cost Estimation) वार्षिक: स्लेट पेन्सिल (Slate- Pencil)
(ग) पेस्टल कलर (Pastel Colours)
मोमी कलर पेस्टल
मोमों का मिश्रण
विभिन्न रंगों के पेस्टल के लिए - जिंक व्हाइट, लीथोपीन,
क्ले करल पेस्टल
(घ) दर्जियों के चॉक (Tailors Chalk)
दर्जियों के चॉक का फार्मूला
मशीनरी एवं उपकरण (Machinery & Equipments)
वित्तीय परियोजना (Cost Estimation) वार्षिक: टेलर-चॉक (Tailors Chalk)
(ङ) ऑफिस पेस्ट (Office Paste)
चिपकने वाले पदार्थ का फामॅूला
(च) ऑफिस गम (Office Gum)
मशीनरी एवं उपकरण (Machinery & Equipments)
ऑफिस पेस्ट व ऑफिस गम
वित्तीय परियोजना (Cost Estimation) वार्षिक : ऑफिस पेस्ट एवं गम

आयुर्वेदिक फार्मेसी (Ayurvedic Pharmacy)
आयुर्वेदिक औषधियों के समूह
आयुर्वेदिक औषधि बनाने की योजना
गुणवत्ता/मानक (Standard)
आधार और अनुमान
आयुर्वेदिक औषधियां निर्माण करने का लागत मूल्य (अनुमानित)

सौंदर्य व श्रृंगार प्रसाधन उद्योग
1. एम्लशन (Emulsion)
2. पाउडर (Powder)
3. स्टिक्स (Sticks)
4. केक (Cake)
5. ऑयल (Oil)
6. म्युसिलेज (Mucilage)
7. जैली (Jelly)
8. सस्पेन्शन (Suspension)
9. पेस्ट (Paste)
10. सोप (Soap)
11. घोल (Solution)
सौंदर्य प्रसाधनों का वर्गीकरण (Classification of Cosmetics)
(i) चर्म के लिए (For Skin)
(ii) बाल के लिए (For Hair)
(iii) नाखून के लिए (For Nails)
(iv) दात और मुंह के लिए (For Teeth & Mouth)
(v) बोर्डलाइन तथा किन-रेड प्रोडक्ट्
(क) फेस पाउडर (Face Powder)
कच्चा माल (Raw Materials)
उत्पादन विधि (फेस पाउडर)
सफेद फेस पाउडर बेस के फार्मूले
प्रचारित रंग-समूहों के फेस पाउडर के फार्मूले
कलर बेस फार्मूला (Colour Base Formula)
मशीनरी और उपकरण (Machiney & Equipments)
आय- व्यय योजना (Cost Estimation) वार्षिक: फेस पाउडर
(ख) कोल्ड क्रीम (Cold Cream)
बनाने की विधि (Manufacturing Process)
कोल्ड क्रीम उत्पादन के आधुनिक फार्मूले
कच्चा माल (Raw Materials)
मशीन और उपकरण (Machiney & Equipments)
(ग) वैनिशिंग क्रीम (स्नो) (Vanishing Cream)
कच्चा माल (Raw Materials)
स्नो बनाने के फार्मूले
सुगंधि कम्पाउंड का फार्मूला
स्नो में मोती जैसी चमक
स्नों में जिंक ऑक्साइड
वित्तीय परियोजना (Cost Estimation) वार्षिक: वैनिशिंग क्रीम (स्नो)
(घ) हैंड क्रीम (Hand Cream)
भूमिका
उपयोग (Uses)
मार्केट सर्वेक्षण (Market Survey)
हैंड क्रमी उत्पादन का फार्मूला
उत्पादन विधि (Manufacturing Process)
हैंड क्रीम उत्पादन का अन्य फार्मूला
कच्चा माल (Raw Materials)
मशीन और उपकरण (Machinery & Equipments)
हैंड की उत्पादन का अन्य फार्मूला
वित्तीय परियोजना (Cost Estimation) वार्षिक : हैंड क्रीम
(ङ) क्लीनसिंग क्रीम (Cleansing Cream)
चेहरा साफ करने वाली 'क्लीनसिंग क्रीम'
बनाने की विधि (Manufacturing Proces)
मशीन एवं उपकरण (Machinery & Equipments)
वित्तीय परियोजना (Cost Estimation) वार्षिक : क्लीनसिंग क्रीम
(च) लिपस्टिक (Lipstick)
लिपस्टिक के फार्मूले
बनाने की विधि (Manufacturing Process)
लिपस्टिक के लिए रंग:
सुगन्ध:
वित्तीय परियोजना (Cost Estimation) वार्षिक : लिपस्टिक निर्माण
अन्य कच्चा माल
मशीन एवं उपकरण (Machinery & Equipments)
(छ) नेल पॉलिश (Nail Polish)
कच्चा माल (Raw Materials)
नेल पॉलिश के फार्मूले
उत्पादन विधि
बनाने की विधि:
सस्ती नेल पॉलिशें
सस्ती नेल पॉलिश के फार्मूले
वित्तीय परियोजना (Cost Estimation) वार्षिक : नेल पॉलिश
मशीन और उपकरण (Machinery & Equipments)
(ज) केश तेल (Hair Oil)
आयुर्वेदिक केश तेल
बनाने की विधि (Manufacturing Process)
आधुनिक केश-तेल
सुगन्धित कैस्टर ऑयल
बनाने की विधि (Manufacturing Process)
सुगन्धित ब्राह्मी आंवला केश तेल
सुगन्धित ब्राह्मी आंवला केश तेल
उत्पादन विधि
कच्चा माल (Raw Materials)
मशीन और उपकरण (Machinery & Equipments)
वित्तीय परियोजना (Cost Estimation) वार्षिक: हेयर ऑयल (आंवला)
(झ) नारियल तेल का शैम्पू (Coconut Oil Shampoo)
उत्पादन विधि (Manufacturing Process)
नारियल तेल के शैम्पू का फार्मूला
शैम्पू बनाने के फार्मूले
वित्तीय परियोजना (Cost Estimation) वार्षिक : नारियल के तेल का शैम्पू
(ञ) हेयर ऐमल्शन, क्रीम व डाई (Hair Emulsion, Cream & Dye)
एमल्शन टाइप हेयर ड्रेसिंग के फार्मूले
बालों को घुंघराले बनाने वाले क्रीम
बाल घुंघराले करने वाले अन्य प्रसाधन
बालों को रंगने के लिए आधुनिक 'हेयर डाई' (खिजाब)
हेयर डाई (खिजाब) के फार्मूले
प्रयोग विधि
एमिडॉल खिजाब का फार्मला
अन्य उपयोगी संकेत
खिजाब की परीक्षण संकेत
खिजाब की परीक्षण विधि
अन्य चुने हुए फार्मूले
काली हेयर डाई (Black Hair Dye)
मशीनरी एवं उपकरण (Machinery & Equipments)
वित्तीय परियोजना (Cost Estimation) वार्षिक : ब्लैक हेयर डाई
(ट) हेयर फिक्सर (बालों को बिठाने के लिए) Hair Fixer
हेयर-फिक्सर का फार्मूला
निर्माण विधि
मशीन एवं उपकरण (Machinery & Equipments)
वित्तीय परियोजना (Cost Estimation) वार्षिक: हेयर फिक्सर
(ठ) टूथ पाउडर (Tooth Powder)
टूथ पाउडर का स्टैन्डर्ड फार्मूला
उत्पादन विधि (Manufacturing Process)
ऑक्सीजनेटेड टूथ पाउडर
निर्माण विधि
टूथ पाउडर निर्माण का अन्य फार्मूला
मशीन और उपकरण (Machinery & Equipments)
(ड) टूथ पेस्ट (Tooth Paste)
पॉलिश करने वाले रचक
माध्यम
मीठा करने वाले पदार्थ
वित्तीय परियोजना (Cost Estimation) वार्षिक: टूथ पाउडर
सुगन्धियां
चिकनाइयां
कीटाणुनाकशक और सुरक्षात्मक पदार्थ
कार्यशील पदार्थ
टूथपेस्ट का बैलेंस करना
टूथ पेस्ट बनाने का फार्मूला
टूथपेस्ट बनाने की साधारण प्रचलित विधि
टूथपेस्ट बनाने का अन्य फार्मूला
बनाने की विधि:
मशीन एवं उपकरण (Machinery & Equipments)
वित्तीय परियोजना (Cost Estimation) वार्षिक: टूथ पेस्ट
(ढ) शेविंग क्रीम (Shaving Cream)
कच्चा माल (Raw Materials)
शेविंग क्रीम के फार्मूले
बुश वाली शेविंग क्रीम के फार्मूले
मशीन एवं उपकरण (Machinery & Equipments)
वित्तीय परियोजना (Cost Estimation) वार्षिक : शेविंग क्रीम
(ण) आफ्टर शेव लोशन (After Shave Lotion)
प्रस्तावना
आफ्टर शेव लोशन निर्माण का फार्मूला
उत्पादन विधि (Manufacturing Process)
मशीन एवं उपकरण (Machinery & Equipments)
आफ्टर शेव लोशन बनाने के अन्य फार्मूला
वित्तीय परियोजना (Cost Estimation) वार्षिक : आफ्टर शेव लोशन
(त) एलम ब्लॉक (फिटकरी) (Alum Block)
भूमिका (Introduction)
कच्चा माल (Raw Materials)
एलम ब्लॉक का फार्मूला
उत्पादन विधि (Manufacturing Process)
मशीन एवं उपकरण (Machinery & Equipments)
वित्तीय परियोजना (Cost Estimation) वार्षिक: एलम ब्लॉक (फिटकरी)
(थ) विलोमक (Depilatories)
आधुनिक विलोमक क्रीम (फार्मूला)
बनाने की विधि
वित्तीय परियोजना (Cost Estimation) वार्षिक : विलोमक (Depllatories)
मशीन एवं उपकरण (Machinery & Equipments)
(द) बच्चों के लिए प्रसाधन (Baby Toiletries)
बेबी ऑयल (Baby Oil)
बेबी लोशन (Baby Lotion)
बनाने की विधि
बेबी क्रीम (Baby Cream)
बनाने की विधि
(iv) बेबी पाउडर्स (Baby Powders)
बेबी पाउडर्स के फार्मूले
वित्तीय परियोजना (Cost Estimation) वार्षिक: बेबी पाउडर

प्रिंटिग इंक उद्योग (Printing Ink Industry)
कच्चा माल (Raw Materials)
रेजि़न तथा बाइंउर
सुखाने वाले पदार्थ
थिनर
पिगमेंट व रंजक
फिलर्स
परीक्षण
लैटर प्रेस इंक (हरी)
लेटर प्रेस न्यूज प्रिंट ब्लैक
मेटल डेकारेटिंग लिथो व्हाइट
मशीनरी व उपकरण (Machinery & Equipments)
मिक्सर (Mixer)
रोलर मिल (Roll Mill)
अन्य उपकरण

अगरबत्ती, धूप आदि (Incense Stick etc.)
अगरबत्ती बनाने के लिए सामग्री
हवन सामग्री तथा धूपबत्ती
धूपबत्ती के लिए सामग्री
हवन सामगी बनाने की सामग्री

आइस-क्रीम (Ice-cream)
सॉफ्टी आइस-क्रीम मशीन
आइस-क्रीम मिश्रण सामग्री
आईस कैण्डी बनाने की मशीन
फ्रिक कण्डैसिंग यूनिट
आइसी कैण्डी जमाने व स्टोर करने की केबिनेट
केबिनेट के आन्तरिक भाग
उत्पादन विवरण और निर्माण प्रक्रिया
व्यवसायिक लाभ के लिए:
भिन्न-भिनन जमे हुए उत्पादों के लिए सुझाए गए ओवर तत्व का प्रतिशत
उत्पादन लक्ष्य
बुनियादी सुविधाएं
प्लान्ट एवं मशीनरी
टैक्निशियन तथा कर्मचारी
बुनियादी सुविधाएं (प्रतिमाह)
प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत
लाभ प्रतिवर्ष:

डेरी उद्योग (Dairy Industry)
पनीर
क्रीम बनाना (Cream Production)
ग्रेविटी पद्धति से क्रीम निकालने का काम
सैपरेअर से क्रीम निकालना
क्रीम की संरचना
क्रीम सैपरेटर मशीन
मक्खन (Butter)
विणन संभावनाएं
पनीर बनाने का उद्योग
मक्खन (Butter)
सपरैटा दूध से पनीर बनाना
आवश्यक साज-सामान
क्रीम निकाले दूध का पाउडर

कन्फैक्शनरी उद्योग (Confectionery Industry)
कन्फैक्शनरी की संभावनाएं
टॉफी बनाने का फार्मूला
बटर टॉफी बनाना
नारियल की टॉफी
बटर मिल्क टॉफी
चाकलेट टॉफी
बर्फी बनाना
फलों से टॉफियां बनाना
विशेष सावधानी
ग्लूकोजयुक्त सादी मिठाई
लेमन वाले ड्राप्स बनाना
चायना-बाल
मैन्थौल ड्रॉप्स
लाली पॉप
शुगर कोटिंग
सौंफ पर शुगर कोटिंग
क्रीम-आफ-टारटार युक्त मिठाई
भूमि और भवन
मशीनें और उपकरण
कच्चा माल (मासिक)
अन्य विविध खर्च (मासिक)
कार्यचालन पूंजी (मासिक)
कुल पूंजी निवेश

मोमबत्ती उद्योग (Candle Manufacturing)
कच्चा माल (Raw Materials)
जलनेवाला पदार्थ
सूत की बत्ती
मोम को रंगने के रंग
साधारण मोमबत्तियों को उत्पादन
मोमबत्ती उत्पादन की विधि
मच्छर भगानेवाली मोमबत्तियां
कलात्मक मोमबत्तियां

वाशिंग डिटरजेंट पाउडर (Washing Detergent Powder)
आवश्यक कच्चा माल
आवश्यक उपकरण (उत्पादन के लिए)
उत्पादन-विधि (Process of Manufacture)
मुख्य निर्माण-विधि
डिटरजैंट पाउडर बनाने के अन्य तरीके
उत्पादन विधि
अकार्बेनिक लवणों पर द्रव्य डिटरजेंट की क्रिया द्वारा डिटरजेंट
पाउडर बनाने का फार्मूला बनाने की विधि
अविरल अवशोषण तथा उदासीनीकरण विधि
उत्पादन विधि
फार्मूला
वित्तीय परियोजना (Cost Estimation) वार्षिक : वाशिंग डिटरजैंट पाउडर

पापड़, बडिय़ां और चाट मसाला (Papad, Bariyan & Chat Masala)
प्रस्तावना
(अ) पापड़
बनाने की विधि (Process of Manufacture)
पापड़ बनाने का फार्मूला
(ब) बडिय़ां (Bariyan)
बनाने की विधि (Process of Manufacture)
बडिय़ां बनाने का फार्मूला
(स) जल जीरा/चाट मसाला (Jaljira / Chat Masala)
बनाने की विधि
मशीनरी एवं उपकरण (Machinery & Equipments)
वित्तीय परियोजना (Cost-Estimation) वार्षिक: पापड़ बड़ी व चाट मसाला

लेटैक्स रबड़ उद्योग (Latex Rubber Industry)
भूमिका (Introduction)
(अ) रबड़ के गुब्बारे (Rubber Balloon)
भूमिका (Introduction)
उत्पादन विधि
वल्केनाइज करने में सहायक
घोल बनाने की रसायनें (Solvents)
स्टेबिलाइजर (Stabiliser)
रंग (Colours)
सॉफ्टनर्स (Softeners)
पिलर्स
लेटैक्स का मिश्रण
लेटैक्स के मिश्रण का फार्मूला
केसीन के 10 प्रतिशत घोल
लिकर अमोनिया
तेल का एमल्शन
तेल का एमल्शन बनाने का फार्मूला
रंग का घोल
नारंगी का घोल
नीले रंग का घोल
वल्केनाइजिंग डिस्पर्शन
लैटेक्स मिश्रण का छानना
लैटेक्स मिश्रण का वल्केनाइज करना
लैटेक्स को वल्केनाइज करने की विधि
सांचे
सांचों पर रबड़ चढ़ाना
कोएगुलैट का घोल बनाने की एक विधि
घुंडी बनाना
सांचे से गुब्बारे छुड़ाना
मशीनरी एवं उपकरण
कुछ अन्य फार्मूले:
बच्चों को दूध की बोतलों के निप्पल
फाउन्टेन पेनों की ट्यूब
वित्तीय परियोजना (Cost Estimation) वार्षिक: रबड़ की गुब्बारे
(ब) रबड़ के खिलौने तथा प्राणी शास्त्र संबंधी मॉडल
सांचे (Moulds)
ओवन (Oven)
लेटैक्स का मिश्रण बनाना
वल्केनाइजिंग घोल
केसीन का घोल
लेटैक्स का मिश्रण
निर्माण विधि
खिलौने बनाना
सांचे में खिलौने इस तरह बनाये जाते हैं
मशीन एवं उपकरण (Machinery & Equipments)
वित्तीय परियोजना (Cost Estimation) वार्षिक: रबड़ के खिलौने

रबड़ की हवाई चप्पल बनाना (Rubber Goods Manufacturing)
1. फिलर्स (Fillers)
2. साफ्टनर या प्लास्टीसाइजर
3. वल्केनाइजिंग में प्रयोग होने वोल रासायनिक पदार्थ
4. ऐक्सीलरेटर्स
5. एंटी ऑक्सीडैंट
रंग
रबड़ की वस्तुएं बनाने की संक्षिप्त विधि
मशीनें (Machines)
(प) रबड़ की हवाई चप्पल
इस चप्पल के निर्माण के तीन हिस्से होते हैं
रबड़ सोल बनाना
स्ट्रेप बनाना
एक उच्च क्वालिटी के हवाई चप्पल के सोल का फार्मूला
वित्तीय परियोजना (Cost Estimation) वार्षिक: हवाई चप्पल

प्लास्टिक की वस्तुओं का उत्पादन (Plastic Goods Manufacturing)
प्लास्टिक उद्योग (Plastic Industry)
(क) इन्जेक्शन मोल्डिंग विधि (Injection Moulding Method)
उपयोगिता (Uses)
बाजार सर्वेक्षण (Market Survey)
कच्चा माल (Raw Materials)
मशीनरी और उपकरण (Machinery & Equipments)
उत्पादन विधि (Manufacturing Process)
वित्तीय परियोजना (Cost Estimation) वार्षिक : इन्जेक्शन मोल्डिंग
(ख) ब्लो मोलडिंग विधि (Blow Moulding Technique)
आवश्यक कच्चा माल
ब्लो मोल्डिंग मशीनों का वितरण
अधिक पूंजी लगाने वालों के लिए ऑटोमैटिक मशीनें
वित्तीय परियोजना (Cost Estimation) वार्षिक : ब्लो मोल्डिंग

पॉलीथीन शीट उद्योग (Polythene Sheet Industry)
कच्चा माल (Raw Materials)
मशीन एवं उपकरण (Machinery & Equipments)
बनाने की विधि (Process of Manufacture)
आय-व्यय (Cost-Estimation) योजना वार्षिक : पॉलीथीन शीट उद्योग

प्लास्टिक की थैलियां (Plastic Bags)
फिल्म की मोटाई
पॉलीथीन के ट्यूब
प्लास्टिक की थैलियां कैसे बनाई जाती हैं
टच सीलिंग मशीन
प्रैशर सीलिंग मशीन
वित्तीय परियोजना (Cost Estimation) वार्षिक: पॉलीथीन शीट उद्योग

पेपर पिन (आलपिन) तथा जेम-क्लिप बनाना (Manufacturing of Alpins & Gem Clips)
(क) पेपर पिन (Paper Pin)
मशीन व उपकरण विधि
कच्चा माल (Raw Materials)
इलेक्ट्राप्लेटिंग (Electroplating)
(ख) जैम क्लिप (Gem Clips)
कच्चा माल (Raw Materials)
इलैक्ट्राप्लेटिंग (Electroplating)
मशीनरी एवं उपकरण (Machinery & Equipments)
वित्तीय परियोजना (Cost Estimation) वार्षिक: पेपर पिन तथा जेम क्लिप

तार से कीलें बनाना (Wire Nail Industry)
भूमिका (Introduction)
तार व बिरंजियां बनाने का तरीका
पॉलिश करने का ढोल
कीलें बनाने की मशीन
कीलें बनाने की कारखाने के लिए उपकरण एवं औजार
वित्तीय परियोजना (Cost Estimation) वार्षिक: तार की कीलें

टीन के छोटे डिब्बे-डिब्बियां (Tin Containers)
डिब्बियां बनाना
छोटे डिब्बे बनाना
कच्चा माल (Raw Materials)
मशीन तथा उपकरण (Machinery & Equipments)
वित्तीय परियोजना (Cost Estimation) वार्षिक : टीन के छोटे-छोटे डिब्बे

कॉने फ्लेक्स (Corn Flakes)
प्रस्तावना (Introduction)
मार्केट सर्वेक्षण (Market Survey)
उत्पादन विधि (Manufacturing Process)
व्हीट फ्लेक्स और राइस फ्लेक्स
कॉर्न फ्लेक्स इंडस्ट्री की योजना
वित्तीय परियोजना (Cost Estimation) वार्षिक: कॉर्न फ्लेक्स

फलों व सब्जियों की डिब्बाबन्दी एवं संरक्षण (Canning & Preservation of Fruits & Vegetables)
प्रस्तावना (Introduction)
फलों के शर्बत व स्कवैश (Fruits Syrup & Squash)
टमाटर के चटनी (Tomato Ketchup)
टमाटर की चटनी बनाने की विधि
टोमाटो कैचप के मसाले
अचार (Pickles)
आम के अचार की सामग्री
निर्माण विधि (Manufacturing Process)
फलों और सब्जियों की डिब्बाबंदी
आम की डिब्बाबन्दी
हरी मटर की डिब्बाबंदी (Green Peas Canning)
मदिरा व सिरका बनाना (Alcohol & Vinegar)
रस निकालना
शक्कर की मात्रा बैलेंस करना
खमीर उठाना
सिरका बनाने की विधि
मशीनरी एवं उपकरण (Machinery & Equipments)
वित्तीय परियोजना वार्षिक: टोमेटो कैचप
फलों से टॉफियां
गूदा तैयार करना
गूदे का मिश्रण
बनाने की विधि
सूखी हुई सब्जियां (Dry Vegetables)
आय-व्यय (Cost Estimation) योजना वार्षिक: फलों की टॉफी निर्माण

खिलौना और गुडिय़ा उद्योग (Toy Industry)
भूमिका (Introducton)
मिट्टïी व पेपरमैशी के खिलौने
सांचे
प्लास्टर ऑफ पेरिस के खिलौने
लकड़ी के खिलौने
कच्चा माल (Raw Materials)
खिलौने बनाने के लिए मशीनें आदि
खिलौने कैसे बनाये जाते हैं?
कपड़े के खिलौने व गुडिय़ां
मशीन व औजार (Machinery & Equipments)
कपड़ा (Cloths)
भरने का मसाला
अन्य छोटी-मोटी चीजें
डिजाइन व पैटर्न
कपड़ा काटना
कपड़ा सीना
वुड वूल भरना
अन्तिम तैयारी
वित्तीय परियोजना (Cost Estimation) वार्षिक: गुडिय़ा एवं खिलौना

दियासलाई उद्योग (Match Box Industry)
प्रस्तावना (Introduction)
बिल्डिंग सम्बंधित जानकरी
बांस को काटकर तीलियां बनाना
मास के लिए आवश्यक कच्चे माल की मात्रा
तीलियों को थोड़ा झुलसाना (Singeing)
बंडलों में बांधना तथा झुलसाना
डिपिंग कम्पोजीशन (Dipping Composition)
तैयार करने की विधि
उत्पादन प्रक्रिया
अन्य उपयोगी संकेत
मशीनरी एवं उपकरण (Machinery & Equipments)
वित्तीय परियोजना (Cost Estimation) वार्षिक: माचिस उद्योग

मसाला उद्योग (Spice Industry)
प्रस्तावना (Introduction)
उपयोग (Uses)
मार्केट सवेक्षण (Market Survey)
उत्पादन विधि (Manufacturing Process)
कच्चा मसाला
मशीन एवं उपकरण (Machinery & Equipments)
वित्तीय परियोजना (Cost Estimation) वार्षिक- मसाला

डबल रोटी उद्योग Bread Industry
प्रस्तावना (Introduction)
कच्चा माल (Raw Materials)
उत्पादन विधि (Manufacturing Process)
मशीन एवं उपकरण (Machinery & Equipments)
वित्तीय परियोजना (Cost Estimation) वार्षिक : डबल रोटी उद्योग

इस्तेमाल किये गये इंजन ऑयल का पुनर्शोधन (Re-Refining of used Engine Oil)
भूमिका (Introduction)
मशीनरी एवं उपकरण (Machinery & Equipments)
वित्तीय परियोजना (Cost Estimation) वार्षिक: पुर्नशोभित इंजन ऑयल

ग्रीस उत्पादन (Grease Manufacturing)
प्रस्तावना (Introduction)
साबुन द्वारा तैयार किए गए ग्रीस निम्न हैं
बैच प्रोसैस को दो भागों में बांटा गया है
खुली कैटिल (Open Kettle)
खुली कैटिल द्वारा ग्रीस बनाने की विधि
बंद कैटिल विधि (Closed Kettle Process)
ग्रीस की संरचना
ग्रीस में मुख्यत: चार पदार्थ होते हैं
ट्रांसपेरेन्ट ग्रीस
सोडियम लुब्रीकेन्ट
मशीनरी एवं उपकरण (Machinery & Equipments)
वित्तीय परियोजना वार्षिक : ग्रीस उत्पादन

कटिंग ऑयल (Cutting Oil)
निर्माण विधि (Manufacturing Process)
1. मिनरल ऑयल इमलशन (Mineral Oil Emulsion)
2. सल्फोनेटेड बेस घुलनशील तेल
3. स्ट्रेट कटिंग ऑयल
कटिंग ऑयल बनाने के अन्य फार्मूले
1. घुलनशील कटिंग ऑयल
2. नीट कटिंग ऑयल
आवश्यक मशीनरी व उपकरण
आय-व्यय (Cost Estimation) योजना वार्षिक: कटिंग ऑयल

एढैसिव उत्पादन उद्योग (Adhesive Manufacturing Industry)
भूमिका (Introduction)
एढैसिव केई प्रकार के होते हैं, जिनमें निम्नलिखित प्रमुख हैं
1. डैक्सट्रीन एढैसिव (Dextrine Adhesive)
2. गम्ड पेपर एढेसिव (Gummed Paper Adhesive)
3. हैवी पेपर (वाले लिफाफों के लिए) गोंद (Heavy Paper Envelope Gum)
4. क्राफ्ट पेपर के लिए गोंद (Craft Paper Envelope Gum)
स्टार्च एडैसिव (Starch Adhesive)
1. न्यूट्रल स्टार्च एढैसिव (Neutral Starch Adhesive)
2. विनियर एढैसिव (Veneer Adhesive)
3. शीशे पर पेपर चिपकाने वाला एढैसिव (Paper to Glass Adhesive)
4. दीवार पर पेपर चिपकाने वाला पेस्ट (Wall Paper Paste)
सैल्यूलोज एढैसिव (Cellulose Adhesive)
1. पोस्टेज स्टैम्प एढैसिव (Postage Stamp Adhesive)
रबड़ एवं लेटैक्स एढैसिव (Rubber & Latex Adhesive)
1. सर्जिकल टेप के लिए सॉल्वेट एढैसिव (Solvent Adhesive for Surgical Tape)
उत्पादन विधि
मशीनरी एवं उपकरण (Machinery & Equipments)
5. कैनवास पर स्टील, ग्लास और अल्युमीनियम लगने के एढैसिव
मशीनरी एवं उपकरण (Machinery & Equipments)
आय-व्यय (Cost Estimation) योजना वार्षिक: एढैसिव

मच्छर भगाने की क्रीम (Mosquito Repellant Cream)
परिचय (Introduction)
मच्छर भगाने की क्रीम फार्मूलेशन
उत्पादन विधि (Manufacturing Process)
मशीनरी एवं उपकरण (Machinery & Equipments)
वित्तीय परियोजना (Cost Estimation) वार्षिक: मच्छर भगाने की क्रीम

सर्जिकल कॉटन (डाक्टरी रूई) (Surgical Cotton)
परिचय (Introduction)
उत्पादन विधि (Manufacturing Process)
आपेनिंग और क्लीयरिंग (Opening & Clearing)
वाशिंग (Washing)
ब्लीचिंग (Bleaching)
अल्कली रिमूविंग (Alkali Removing)
ड्राइंग (Drying)
लैपिंग (Lepping)
रौलिंग (Rolling)
कच्चा माल (Raw Materials)
लाइसेंस (Licence)
मशीनरी एवं उपकरण (Machinery & Equipments)
वित्तीय परियोजना (Cost Estimation) वार्षिक: सर्जिकल काटन उद्योग

सार्जिकल बैंडेज उद्योग (Surgical Bandage Industry)
भूमिका (Introduction)
लाइसेंस (Licence)
कच्चा माल (Raw Materials)
उत्पादन विधि (Manufacturing Process)
मशीनरी एवं उपकरण (Machinery & Equipments)
वित्तीय परियोजना (Cost Estimation) वार्षिक: सर्जिकल बैंडज

होजरी उद्योग (Hosiery Industry)
प्रस्तावना (Introduction)
होजरी उद्योग को तीन भागों में विभक्त किया जा सकता है
ऊनी (Woollen)
सूती (Cotton)
सिन्थेटिक (Synthetic)
मार्केट सर्वेक्षण (Market Survey)
कच्चा माल (Raw Materials)
होजरी सामान बनाने की विधि
पैकिंग (Packing)
मशीनरी एवं उपकरण (Machinery & Equipments)
वित्तीय परियोजना (Cost Estimation) वार्षिक: रेडीमेड गारमेंट

रेडीमेड गारमेंट उद्योग (Readymade Garment Industry)
प्रस्तावना (Introduction)
उत्पादन विधि (Manufacturing Process)
मशीनरी एवं उपकरण (Machinery & Equipments)
वित्तीय परियोजना (Cost Estimation) वार्षिक: रेडीमेड गारमेंट उद्योग

स्विच और प्लग उद्योग (Switch and Plug Industry)
भूमिका (Introduction)
उत्पादन विधि (Manufacturing Process)
मशीनरी एवं उपकरण (Machinery & Equipments)
वित्तीय परियोजना (Cost Estimation) वार्षिक: स्विच और प्लग उद्योग

ड्राई सैल बैटरी (Dry Cell Battery)
भूमिका (Introduction)
मार्केट
उत्पादन विधि (Manufacturing Process)
मशीन और उपकरण (Machinery & Equipments)
वित्तीय परियोजना (Cost Estimation) वार्षिक : डराई सेल बैट्री

बोल्ट एवं नट उद्योग (कोल्ड प्रोसेस से) – Bolts and Nuts Industry (By Cold Process)
प्रस्तावना (Introduction)
उत्पादन विधियां
स्क्रू और बोल्ट (Screw & Bolt)
स्पेसिफिकेशन्स (Specifications)
ट्रिमिंग
डाई द्वारा चूडिय़ा बनाना
स्पेसिफिकेशन्स
नट (Nut)
कोल्ड हैंडिग या अपसैंटिग
पंचिंग और चेम्फरिंग (Punching & Chamfering)
हीट ट्रीटमैंट (Heat Treatment)
मशीनरी एवं उपकरण (Machinery & Equipments)
वित्तीय परियोजना (Cost Estimation) वार्षिक: बोल्ट नट उद्योग

इंक इंडस्ट्री (Ink Industry)
लिखने की स्याहियां (Writing Inks)
लिखने की बढिय़ा स्याही
फाउन्टेन पेन के लिए उपयुक्त स्याही
फाउन्टेन पेन की स्याही
हीरा कसीस (फैरिक सल्फेट) से बना स्याही चूरा
रंग से स्याही बनाने का तरीका
स्याही बनाने के लिए आमतौर पर नीचे लिखे घोलों का
प्रयोग किया जाता है
मशीनरी एवं उपकरण (Machinery & Equipments)
पोस्टर इंक (पोस्टर कलर) (Poster Colour Ink)
बनाने की विधि
ड्राइंग इंक (Drawing Ink)
बनाने की विधि
प्रिंटिंग इंक (Printing Ink)
मार्केट सर्वे (Market Survey)
बनाने की विधि (Manufacturing Process)
मशीन और उपकरण (Machinery & Equipments)
स्पेशल मैचिंग स्याही (Special Matching Ink)
वित्तीय परियोजना (Cost Estimation) वार्षिक : प्रिंटिंग इंक

सोप एंड क्लीनर्स इंडस्ट्री (Soap and Cleaners Industry)
विषय प्रवेश (Introduction)
साबुन की किस्में (Types of Soaps)
कच्चा माल (Raw Materials)
कॉस्टिक सोडा (Caustic Soda)
नारियल का तेल (Coconut Oil)
आजकल की महंगाई और तेल
अन्य सस्ते तेल
सोप स्टोन (Soap Stone)
श्वेतसार (Starch)
साबुन के रंग
मशीन एवं उपकरण (Machinery & Equipments)
साबुन की चिप्स बनाना
(क) कपड़े धोने का साबुन
मशीन एवं उपकरण (Machinery & Equipments)
वित्तीय परियोजना (Cost Estimation) वार्षिक : कपड़े धोने का साबुन
(ख) पारदर्शक साबुन (नहाने का साबुन) (Transparent Soap)
मशीनरी एवं उपकरण (Machinery & Equipments)
वित्तीय परियोजना (Cost Estimation) वार्षिक : ट्रांसपैरेंट सोप
(ग) विट टाइप क्लीनिंग पाउडर (Cleaning Powder Vim Type)
संयोजन प्रक्रिया (Compounding Procedure)
क्लीनिंग पाउडरों के चुने हुए फार्मूले:
वित्तीय परियोजना (Cost Estimation) वार्षिक : क्लिनिंग
पाउडर (विम टाइप)

सिल्क स्क्रीन द्वारा कपड़ों पर छपाई (Cloth Printing by Silk Screen)
विषय प्रवेश (Introduction)
सामान्य जानकारियां
मशीनरी एवं उपकरण
सिल्क स्क्रीन द्वारा कपड़ों पर छपाई
वित्तीय परियोजना (Cost Estimation) वार्षिक: सिल्क स्क्रीन
द्वारा कपड़ों पर छपाई

बिस्कुट उद्योग (Biscuit Industry)
मार्केट सर्वेक्षण (Market Survey)
उत्पादन विधि (Manufacturing Process)
मशीन तथा उपकरण (Machinery & Equipments)
वित्तीय परियोजना (Cost Estimation) वार्षिक : बिस्कुट उद्योग

चीनी उद्योग (खांडसारी) (Sugar Industry)
चीनी उद्योग (खांडसारी) की अनुमानित लागत
मशीनरी और उपकरण (Machinery & Equipments)

इलैक्ट्रोप्लेटिंग इण्डस्ट्री (Electroplating Industry)
आवश्यक मशीनें व साज-सामान
इलैस्ट्रोप्लेटिंग उद्योग का कुल अनुमानित लागत खर्च

टायर रिट्रीडिंग उद्योग (Tyre Retreading Ind.)
इस काम का स्कोप कहां पर है?
टायर और ट्यूब रिट्रीडिंग उद्योग का अनुमानित खर्च

खाद्य रंगों का निर्माण (Food Colours)
रंगों का महत्व एवं समायोजन (Importance of Colours)
कृत्रिम खाद्य रंग (Synthetic Food Colours)
पीला रंग (Yellow Colours)
लाल रंग (Red Colours)
हरा रंग (Green Colours)
कृत्रिम रंगों की प्रयोग विधि
मृदुल खाद्य रंग (Caramel Colours)
खाद्य रंगों का स्वयं निर्माण (Colours Manufacturing)

फलों और फूलों के एसेन्स (Flavours & Essences)
सन्तरे और नींबू के एसेन्स (Orange & Lemon Essence)
गुलाब के फूलों का एसेन्स (Rose Essence)
अन्नास का एसेन्स (Pineapple Essence)
रसबरी और स्ट्राबेरी ऐसेन्स (Raspberry Essence)
केशर का असली एसेन्स (Saffron Essence)
कृत्रिम ऐसन्स अर्थात मिश्रण
नीबू का कृत्रिम एसेन्स (Lemon Essence)
रसभरी फ्लेवर (Raspberry Flavour)
सन्तरे का एसेन्स (Orange Essence)
अन्नास का एसेन्स (Pineapple Essence)
केले का तीक्ष्ण एसेन्स (Banana Flavour)
अंगूरों का कृत्रिम एसेन्स (Grapes Essence)
स्ट्राबेरी की सुगन्ध (Strawberry Flavour)
चेरी की सुगन्ध (Cherry Flavour)
रसभरी फ्लेवर (Raspberry Flavour)
खस की सुगन्ध (Khus Fragrance)
केशर कस्तूरी व फूलों की मिश्रित सुगन्ध (Compound Flavour)
फल, फूल व मसालों की मिश्रित सुगन्ध (A Tasteful Compound)
गर्म मसाले की कृत्रिम सुगन्ध (Garm Masala Flavour)
मादक मस्त सुगन्ध (A Pleasing Compound)

मक्खन और मसालों की सुगन्ध (Flavours of Spices & Butter)
मक्खन की सुगन्ध (Butter Flavour)
मक्खन की तीक्ष्ण सुगन्ध (Strong Butter Flavour)
पनीर की सुगन्ध (Cheese Flavour)
क्रीम की सुगन्ध (Flavour of Cream)
कोको की सुगन्ध (Cocoa Flavour)
चॉकलेट की सुगन्ध (Chocolate Flavour)
वनीला की सुगन्ध (Venilla Flavour)
वनीला पेस्ट (Venilla Paste)
क्रीम की हाईक्लास सुगन्ध
बादामों का स्वाद व सुगन्ध (Almond Essence)
दालचीनी की कृत्रिम तेल (Cinnamon Oil)
लौंग की कृत्रिम सुगन्ध (Clove Flavour)
गर्म मसाले का स्वाद का सुगन्ध (Garm Masala Essence)

चिप्स तथा वेफर्स (Potato Waffers)
चिकनाई, मसालों के अर्क तथा सुगन्धें
मशीनें तथा निर्माण प्रक्रिया
चिप्स तैयार करना (Chips Making)
बेलना, काटना तथा पकाना (Final Processing)

नूडल्स एवं सेवइयां (Noodles)
उद्योग का अर्थशास्त्र एवं मशीनें
कच्चामाल तथा निर्माण प्रक्रिया
पैकिंग, सावधनियां व बिक्री व्यवस्था (Sales Organization)

माल्ट फूड तथा माल्ट मिश्रित पेय (Malt Food & Drinks)
मुख्य आधार रचक (Basic Raw Materials)
माल्टीन पेय
विधि स्तरों पर प्लांट तथा पूंजी निवेश

मक्का का स्टार्च (Maize Starch)
मक्का के स्टार्च के उपयोग तथा बिक्री व्यवस्था
मशीनें, उनकी सेटिंग तथा निर्माण प्रक्रिया
मक्का को भिगोना व छिलका उतारना
सुखाना, पीसना व पैकिंग

पान मसाले तथा गुटके (Pan Masalas & Gutkas)
प्लांट तथा पूंजी निवेश (Plant & Investment)
प्रमुख, सहायक एवं गुणवर्द्धक रचक
सुपारियों का चयन एवं शोधन
एक अच्छा फार्मूला
मिश्रण पकाना तथा चढ़ना

सुगन्धित जाफरानी ज़र्दा (High Class Jardas)
उद्योग का विशिष्ट लाइसेन्स (Manufacturing Licence)
लाइसेन्स लेने की प्रक्रिया
निर्माण प्रक्रिया

किवाम तथा पान मसाले (Kiwam & Pan Masalas)
सामान्य सस्ता किवाम
मुश्कीदाने और किवाम की पपड़ियां
पानी में डाले जाने वाले मसाले
मीठी चटनियां

हुक्के के सुगन्धित तम्बाकू (Smoking Tobacco)
तम्बाकू, शीरे तथा सुगन्ध का चयन
निर्माण विधि व उपकरण (Manufacturing Process)

नसवार पाउडर और पेस्ट (High Class Sunfees)
बाजार सर्वेक्षण और बिक्री व्यवस्था
चरणबद्ध निर्माण प्रक्रिया (Manufacturing Process)

सूखी संरक्षित और डिब्बा बंद सब्जियाँ (Preserved Vegetables)
सुखाकर सुरक्षित करना (Dehydration Method)
नमक के घोल में परिक्षण
एसिड मिश्रित चाषनी में सुरक्षित करना
एसीटिक एसिड में संरक्षण
पैक करने की प्रक्रिया

जैम, जैलियां व मार्मलेडें (Jams, Jallies & Marmalades)
कच्चा माल व निर्माण प्रक्रिया
अनानास व सेब की मिश्रित जैम
सन्तरे की मार्मलेड

सॉसेज, केचअप व अचार (Sauces, Ketchup & Pickles)
अच्छी केचअप का सन्तुलित
टमेटो सॉस (Tomato Sauce)

दुग्ध पाउडर, घी, पनीर व कैजीन (Dairy Products)
प्लाण्ट तथा पूंजी निवेष
पनीरों का निर्माण
कैजीन का निर्माण
क्रीम, मक्खन और घी
गाढ़ा किया हुआ कन्डन्स्ड मिल्क
दुग्ध पाउडर

कत्था निर्माण उद्योग (Katha Industry)
कत्था निर्माण की प्रक्रिया
मशीनरी तथा उपकरण (Machinery & Equipments)
विविध खर्च (प्रतिमाह)
कुल परियोजना लागत
कत्था उद्योग का लाभ

पेंट निर्माण उद्योग (Paint Industry)
कच्चा माल
पिगमेंट
घोतक
आवश्यक बॉल
बॉल मिल या पैबल मिल
1. बॉल या पैबल मिल चार्ज-भार
2. बॉल या पैबल मिल चार्ज साइज
3. बॉल या पैबल मिल की गति
बॉल मिल का इस्तेमाल करने के लाभ
ऐज रनर मिल
ट्रिपल रोलर मिल
फ्लैट स्टोन मिल
ओरियंटल मशीनरी (माइल्ड स्टील षैल)
मैकेनिको (माइल्ड स्टील षैल)
डिस्टेंपर
लकड़ी के लिए
धातु की सतह के लिए
इनेमल

Plant & Machinery Suppliers

Raw Material Suppliers

Photographs of Machinery with Supplier's Contact Details

लघु उद्योग शुरू करने सम्बन्धी उपयोगी मागदर्शन एवं उन्हें मिलने वाली सरकारी सुविधाएं
Useful Guidance & Government Facilities for small Scale Industries
लघु उद्योग एवं इस श्रेणी (Category) के अन्तर्गत आने वाला कोर्इ भी छोटा कारखाना लगाने के लिए केन्द्रीय या राज्य सरकार की औपचारिक अनुमति लेने की बिल्कुल जरूरत नहीं है। परंतु जो छोटे कारखाने ऐसी चीजों का उत्पादन आरंभ करना चाहते हैं जिनके लिए विदेशी पूर्जों की आवश्यकता हो उन्हे अपने उत्पादन के सम्बन्ध में विकास कमिश्नर (लघु उद्योग) की पूर्व स्वीकृति लेनी जरूरी है।
इसके अतिरिक्त छोटे कारखानों को राज्य सरकार अथवा स्थानीय संस्थानों के अधिकारियों के द्वारा निर्धारित कारखाना अधिनियम (फैक्ट्री एक्ट), 'दुकान तथा प्रतिष्ठान अधिनियम' (Shop & Establishment Act) और नगर निगम तथा कच्चे माल का कोटा देने के संबंध में बनाये गये नियमों का पालन करना आवश्यक होता है।
लघु उद्योगों का पंजीकरण (Registration of Small Scale Industries)
यद्यपि लघु उद्योगों का राज्य उद्योग निदेशालय (State Directorate of Industries) से पंजीकरण जरूरी नहीं है परंतु फिर भी अपने लाभ के लिए SDI से इसको पंजीकृत करवा लेना चाहिए । कुछ निर्धारित वस्तुएं ऐसी हैं जिन्हें बनाने के लिए राज्य सरकार या केन्द्र सरकार से लार्इसेंस लेना पड़ता है, इसके अतिरिक्त इस श्रेणी के उद्योगों के लिए सरकार द्वारा कुछ प्रोत्साहन-लाभ (Incentive benefits) का प्रावधान (Provision) किया गया है । यह सुविधा उन्हीं लघु उद्योगों को प्रदान की जाती है, जो राज्य उद्योग निदेशालय के द्वारा पंजीकृत (Registered) होते हैं, चाहे उद्योग पंजीकृत हो या न हो लेकिन राज्य सरकार द्वारा बनाए गए नियमों का पालन आवश्यक है, इसलिए SDI में उद्योगों का पंजीकरण करवा लेना चाहिए ।
लघु उद्योग का पंजीकरण दो प्रकार से होता है :
(1) सामयिक पंजीकरण (Provisional Registration)
(2) स्थायी पंजीकरण (Permanent Registration)
लघु उद्योगों का सामयिक पंजीकरण (Provisional Registration) इकार्इ (Unit) के उत्पादन में आने से पहले कराया जाता है। यह पंजीकरण सर्टिफिकेट प्रारंभ में दो साल के लिए प्रदान किया जाता है । यदि इकार्इ इस अवधि में उत्पादन में नहीं आ पाती है तो पंजीकरण का नवीकरण (Renewal) संबंधित राज्य उद्योग निदेशालय से करवाया जाता है । यह नवीकरण मात्र छ: महीने के लिए किया जाता है । जब इकार्इ उत्पादन (Production) में आ जाती है, तो प्रार्थना-पत्र SDI को देकर स्थायी पंजीकरण (Permanent Registration) करवाया जाता है ।
उपयुक्त उद्यम का चुनाव कैसे करें (How to select a Suitable Business)
संबंधित उद्योग-धन्धों की सहायता से आय बढ़ाने या स्वतंत्र रूप से जीविका कमाने में सहायता मिल सकती है, उनमें से चुने हुए उद्योग-धन्धों की जानकारी इस पुस्तक में दी गयी है । वैसे तो इसमें बताये गये सभी उद्योग-धन्धे मुनाफा दे सकने वाले हैं और देश-विदेशों में लाखों व्यक्ति इन चुने हुए उद्योग-धन्धों से अच्छा कमा रहे हैं, परन्तु इस संबंध में यह बात भी स्मरण में रखने योग्य है कि आजकल प्राय: सभी उद्योग-धन्धों में इतनी प्रतिस्पर्धा चल रही है कि पुराने तथा अनुभवी व्यक्तियों के मुकाबले में जो नये व्यक्ति इस क्षेत्र में उतरते हैं उन्हें अपने व्यवसाय को सुचारू रूप से चलाने के लिए कुछ संघर्ष का भी सामना करना पड़ सकता है और इसके लिए अच्छी व्यापारिक सूझ-बूझ की भी आवश्यकता पड़ती है । अपने लिए अधिक उपयुक्त सि़द्ध हो सकने वाले उद्योग-धन्धे का चुनाव करने के लिए नीचे बताये गये तथ्यों पर भली-भांति विचार कर लेना आपके लिए मार्ग दर्शक सिद्ध हो सकता है :
(क) जिन वस्तुओं का आप उत्पादन करना चाहते हैं उनकी बिक्री के लिए आपके आस-पास के क्षेत्र में पर्याप्त सम्भावना है या नहीं? यदि अपने उत्पादन को आप दूरस्थ स्थानों एवं बाजार में बेचना चाहते हैं तो उसके लिए आप समुचित साधन जुटा सकते हैं या नहीं ?
(ख) जो उद्योग आप शुरू करना चाहते हैं उसमें अधिक प्रतिस्पर्धा (Competition) है तो अपने अन्य प्रतिद्वंदियों के साथ-साथ आप अपना माल सफलतापूर्वक कैसे बेच सकते हैं ?
(ग) उस उद्योग के लिए आपक पास आवश्यक 'पावर कनेक्शन' तथा स्थान की व्यवस्था है या नहीं ?
औद्योगिक परियोजनाओं हेतु वांछनीयता की कसौटियां
किसी परियोजना की संपूर्ण सुदृढ़ता एवं महत्त्व आंकने हेतु निम्नलिखित मापदंड का प्रयोग करना चाहिए :
(1) परियोजना-विशेष, जिसके चयन की योजना है, श्रमिक-बहुल है अथवा पूंजी-बहुल
राष्ट्रसंघ एवं सुविख्यात अर्थशास्त्रियों के अनुसार ऐसे देशों में जहां बहुसंख्यक एवं सस्ते श्रमिक सुगमतापूर्वक उपलब्ध हैं, तुलनात्मक दृष्टिकोण से श्रमिक-बहुल उद्योगों की स्थापना अधिक लाभकारी सिद्ध होती है । भारतीय परिवेश में जहां सस्ते मजदूर आसानी से उपलब्ध हैं, श्रमिक-बहुल उद्योग वांछनीय है । दूसरी ओर जहां सस्ते मजदूरों की कमी हो एवं आवश्यक राशि सुगमता से उपलब्ध हो, पूंजी-बहुल परियोजनाएं लगाना श्रेयस्कर होगा जिनमें स्वचलित मशीनों द्वारा वांछित उत्पादन होता रहे । उपलब्ध प्रौधोगिकी के आधार पर इन दो प्रकार की परियोजनाओं के बीच एक संतुलित परियोजना का चयन कदाचित सबसे उत्तम होगा । सभी परिस्थितियों में अधिकतम उत्पादकता (Productivity) को नजर अन्दाज नहीं किया जा सकता ।
(2) उद्योगों का आकार : ऐसे अविकसित क्षेत्रो में जहां औद्योगिकरण अब तक नहीं हो पाया है, सर्वप्रथम लघु उद्योग लगाना ही श्रेयस्कर होगा जिनसे वांछित कौशल, पूंजी एवं अनुभवों में लगातार बढ़ोत्तरी होती रहती है। विकासशील देशों के लिए सरल एवं छोटे उद्योग से बडे़ फायदे हैं क्योंकि इनकी स्थापना छोटी पूंजी लगाकर कम समय मे आसानी से की जा सकती है । साथ ही इनके लिए परिष्कृत प्रबंधना या उच्च प्रौधोगिक शिल्प की आवश्यकता नहीं है । तथ्य यह है कि भारत में लघु उद्योगों की स्थापना एवं लाभ कमाने की दिशा में आश्चर्यजनक प्रगति हुर्इ है।
(3) विदेशी मुद्रा अर्जन : ऐसी परियोजनाएं जिनके द्वारा विदेशी मुद्रा कमाया जा सके, उनके महत्त्वपूर्ण गुणों को दर्शाता है। दूसरी ओर ऐसे उद्योग जिनके द्वारा आयातित सामग्रियों की जगह वैकल्पिक वस्तुएं तैयार की जाती है, ताकि विदेशी मुद्रा की खपत में बचत हो, अत्यन्त वांछनीय है । अत: निर्यात-मुखी एवं आयात-अवरोधक परियोजनाओं की स्थापना प्राथमिकता के आधार पर की जानी चाहिए । ऐसे उद्योगों से बिना किसी शंका के ठोस लाभ अर्जित किया जा सकता है ।
(4) व्यावसायिक लाभ : जन कल्याण एवं सामरिक महत्त्व के वस्तु उत्पादन को छोड़कर किसी भी उद्योग के लिए व्यावसायिक लाभ कमाना महत्त्वपूर्ण उद्देश्य है । वास्तविक लाभ का आकलन सही ढंग से किया जाना चाहिए जिसमें विभिन्न प्रकार के करों, सूद, जमीन, मकान एवं मशीनों पर वार्षिेक हृास (डेप्रिसियेशन) संबंधी राशि सही वि य मूल्य आदि की वास्तविक गणना हो । कोर्इ भी वित्तीय संस्थान किसी उद्योग के लिए पूंजी स्वीकृत करने के पूर्व इन पहलुओं पर निश्चित रूप से विचार करता है ।
(5) राष्ट्रीय आर्थिक लाभ : किसी भी परियोजना पर लागत से लाभ किस दर से हो रहा है राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था पर इसका कैसा प्रभाव पड़ रहा है, जानना आवश्यक है, क्योंकि यह राष्ट्रीय आर्थिक लाभ से संबंधित है । उत्पादित वस्तुओं के मूल्य से विभिन्न व्यवहत साधनों पर हुए व्यय को घटाकर ही राष्ट्रीय लाभ आंका जा सकता है जो एक महत्त्वपूर्ण मापदंड है ।
(5) परियोजनाओं का चुनाव : राष्ट्रीय एवं व्यावसायिक अर्थ-लाभ के विश्लेषण के आधार पर ही परियोजनाओं का चुनाव किया जाना चाहिए तथापि, परियोजनाओं के मूल्यांकन में वैसे किसी पक्ष अथवा पहलू पर विचार नहीं करना चाहिए जो सामान्य कार्य-प्रणाली से संबंधित न हो । ऐसे मुद्दे राजनीति, ज्ञानपीठ, सामाजिक रीति-रिवाजों, विश्वास एवं स्थानीय सरकार के गुण-दोष से संबंधित होते हैं । तात्पर्य यह है कि वातावरण अनुकूल हो तथा समाज ऐसे उद्योग की कमी महसूस करे । ऐसी परिस्थिति में परियोजना की सफलता निश्चय प्राय है ।
सामाजिक रीति-रिवाजों एवं विश्वास का प्रतिफल ही है कि देहातों में अभी भी मल से रसोर्इ गैस उत्पादन की योजना को लोग स्वीकार नहीं कर रहे हैं । यद्यपि कि चर्म उद्योग तकनीकों एवं आर्थिक दृष्टिकोण से सुदृढ़ एवं लाभदायी उद्योग है, कतिपय क्षेत्रों में इसकी स्थापना में लोग व्यवधान डालते हैं ।
उद्योग लगाने की प्रक्रिया
किसी औधोगिक इकार्इ की स्थापना निम्नलिखित व्यावसायिक संगठनों के रूप में की जा सकती है :
(क) पब्लिक लिमिटेड कम्पनी (ख) प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी (ग) साझेदारी फर्म
(घ) मालिकाना (पोप्रार्इटरी) फर्म (च) अनलिमिटेड कम्पनी (छ) सरकारी (गवर्नमेन्ट) कम्पनी
(ज) एसोशियेशन जिसमें लाभ नहीं कमाया जाता ।
इच्छुक व्यक्ति या लोगों द्वारा उपरोक्त में से किसी एक को चुनना चाहिए एवं कम्पनीफर्म बनाने के लिए आवश्यक औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद नियमानुकूल कम्पनीफर्म का निबंधन कराना चाहिए । छोटे एवं मझोले उद्योगों के लिए प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी और बड़े-बड़े उद्योगों के लिए पब्लिक लिमिटेड कम्पनी अच्छी समझी जाती है ।
कम्पनी के समामेलन की विधि में महत्त्वपूर्ण कागजात-कम्पनी का नाम उपलब्ध कराने हेतु प्रपत्र 1-ए. (अनुंलग्नक-1) में कम्पनी रजिस्ट्रार के समक्ष आवेदन करना पड़ता है । निबंधन के लिए ज्ञापिका (मेमोरेन्डम एवं संघ के नियम अनुच्छेद 'आर्टिकल्स ऑफ एसोशियेशन') के साथ आवेदन करना पड़ता है । रजिस्ट्रार ऑफ कम्पनीज के यहां से सर्टिफिकेट आफ इनकारपोरेशन प्राप्त होता
है । ऐसे सर्टिफिकेट का एक नमूना अनुलग्नक-2 पर दिया गया है । साझेदारी एवं मालिकाना फार्मों के लिए उक्त प्रकार की औपचारिकताओं की आवश्यकता नहीं पड़ती है ।
कम्पनी रजिस्ट्रार के यहां से समामेलन का प्रमाण पत्र (सर्टिफिकेट ऑफ इनकापोरेशन) प्राप्त हो जाने पर ही कम्पनी का अस्तित्व कायम होता है प्राइवेट लिमिटेड कम्पनियों के सदस्यशेयर होल्डर ज्यादातर अपने परिवार या मित्रों में से होते हैं । पब्लिक लि. कम्पनी में ऐसा नहीं होता । कम्पनी के निदेशकों (डाइरेक्टरों) के नाम ज्ञापिकों में उल्लिखित होते हैं ।
निदेशक-बोर्ड की पहली मीटिंग में कुछ खास बातें ठीक कर ली जाती हैं, वे हैं -
(i) पहली मीटिंग का चेयरमैन का निर्वाचन
(ii) सर्टिफिकेट ऑफ इनकारपोरेशन, ज्ञापिका (मेमोरेन्डम) एवं संघ के नियम अनुच्छेद (आर्टिकल्स ऑफ इसोसियेशन) बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत करना,
(iii) बोर्ड के चेयरमैन की नियुक्ति
(iv) कम्पनी की 'सील मुहर' का निर्धारण
(v) बैंक खाता खोलने का निर्णय - किस बैंक में खोला जाये एवं किनके हस्ताक्षर से कारोबार होगा ।
(vi) शेयर सर्टिफिकेट का प्रारूप स्वीकृत करना
(vii) किसको कितना शेयर दिया जायेगा उसका निर्णय
(viii) कम्पनी रजिस्ट्रार के पास शेयर आवंटन की जानकारी देने का निर्णय
(ix) वित्तीय वर्ष कब से आरंभ होगा - उसका निर्णय
(x) औडीटर की नियुक्ति का निर्णय
(xi) प्रारंभिक खर्च की स्वीकृति
(xii) कम्पनी के बही खाते कहां रखे जायेंगे एवं उनके रख-रखाव के लिए किसकी जिम्मेदारी होगी- इसकी स्वीकृति ।
कौन-कौन से बही-खाते काननून रखने हैं, उनकी सूची अनुलग्नक-3 पर दिया गया है ।
औधोगिक संस्थान के भिन्न-भिन्न प्रकार
औधोगिक संस्थान
सार्वजनिक क्षेत्र निजी क्षेत्र सहकारी क्षेत्र संयुक्त क्षेत्र
केन्द्र सरकार के राज्य सरकार के मालकाना साझेदारी फर्म कम्पनी
स्वायत्त प्रतिष्ठान स्वायत्त प्रतिष्ठान निजी सार्वजनिक (प्राइवेट लिमिटेड)
उद्योग विशेष की अवस्थिति, उत्पादित की जाने वाली सामग्रियों की किस्में, उद्योग का आकार, कुल लागत पूंजी, इत्यादि से संबंधित निर्णय प्रतिष्ठान द्वारा किया जाता है । इसके पश्चात परियोजना की सम्भाव्यता (फिजिबिलीटी) प्रतिवेदन एवं तत्पश्चात विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन तैयार किया जाना उपयोगी है । परियोजना के लिए वित्त मुहैया कराने से संबंधित प्रणाली का उल्लेख पीछे दिया जा चुका है ।
औधोगिक लाइसेन्स लेने की आवश्यकता कुछ खास बड़े उद्योगों को छोड़कर दूसरों के लिए नहीं रही । जी.डी.टी.डी. के यहां रजिस्ट्रेशन की भी अब आवश्यकता नहीं रही ।
यदि किसी औधोगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण के अन्तर्गत भूमि प्राप्त करना हो तो विहित प्रपत्र में आवेदन पत्र प्रस्तुत करना पड़ता है । इस प्रकार के विहित प्रपत्र का नमूना अनुलग्नक-4 में दिया गया है । एक राज्य सरकार (बिहार) द्वारा प्रदत्त प्रेरक राशि (इन्सेंटिव) के नमूने का उल्लेख अनुलग्नक-5 पर उपलब्ध है । लघु उद्योग की श्रेणी में रजिस्ट्रेशन कराने के आवेदन पत्र का नमूना अनुलग्नक-6 पर दिया गया है ।
विभिन्न राज्य सरकारों एवं केन्द्र सरकार द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न सामग्रियों के लिए प्रदत्त राशि (इन्सेंटिव) की जानकारी प्राप्त करना एवं समय पर उनसे लाभ उठना युक्तिसंगत होगा ।
उद्योग का कार्यस्थल के लिए भूमि अधिग्रहण में प्राय: काफी समय लगता है । अत: इस कार्य के लिए कार्इवार्इ पूर्व से ही प्रारंभ कर देनी चाहिए ।
कार्यस्थल के लिए पर्यावरण नियंत्रण बोर्ड से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करना पड़ता है जिसके लिए विहित प्रपत्र में आवेदन पत्र समय पर प्रस्तुत कर देना चाहिए । इसी तरह पर्यावरण सुरक्षा नियम के तहत अनुमति प्राप्त करना भी आवश्यक है ।
उद्योग लगाने तथा उसके लिए कच्चे माल उपलब्ध कराने में विलंब न हो इसके लिए वित्तीय प्रबंध आश्वस्त रहना चाहिए एवं वित्त की कमी नहीं रहनी चाहिए । अध्याय 'परियोजना के लिए वित्त का प्रावधान कैसे किया जाये', में प्रमुख अवयवों का विवरण दिया गया है ।
बैंक एवं वित्तीय प्रतिष्ठानों द्वारा इक्वीटी, कार्यान्वयन पूंजी (वर्किंग कैपिटल), सावधि ऋण (टर्म लोन) आदि स्वीकृति करने के लिए अपने अलग-अलग प्रपत्र हैं जिनमें आवेदन पत्र भरकर विचार एंव स्वीकृति हेतु प्रस्तुत करना चाहिए । संबंधित पदाधिकारियों से विषय-वस्तु पर प्रारंभिक विचार-विमर्श कर आवेदन पत्र प्रस्तुत करना अधिक उपयोगी होता है ।
लघु औधोगिक इकार्इयों के लिए वित्तीय सहायता प्राप्त करने संबंधी आवेदन प्रपत्र बैंकों एवं वित्तीय संस्थानों से उपलब्ध होते हैं । 'टर्म लोन एवं वर्किंग कैपिटल' दोनों के लिए प्रपत्र आसानी से मिल जाते हैं ।
खुदरा विक्रेताओं, छोटे व्यापारियों तथा छोटे व्यवसाय करने वालों को वित्तीय सहायता मुहैया कराने संबंधी आवेदन पत्र का प्रपत्र भी आसानी से उपलब्ध है । मार्ग दर्शन के लिए सरकारी अधिकारी भी नियुक्त है ।
लेखन सामग्री का उत्पादन (Stationery Manufacturing)
(क) चॉक (Chalk) : चॉक प्रत्येक स्कूल कालेज एवं शिक्षा संस्थानों में काम आने वाली आवश्यक वस्तु है । स्कूल से लेकर विश्वविद्यालयों तक में चॉक का प्रयोग किया जाता है । भारत मे स्कूलों की संख्या तेजी से बढ़ रही है और हर साल सैकड़ों नए स्कूल हर राज्य में खुल जाते हैं । इसलिए चॉकों की मांग बराबर बढ़ती जा रही है । भारत में कर्इ कारखाने चॉक बना रहे हैं, परन्तु इस नए उद्योग से भी अच्छा लाभ प्राप्त होने की सम्भावना है । चॉक बनाने का काम काफी आसान है । घरेलू तथा कुटीर उद्योग के रूप में इनका बनाने का काम आरम्भ किया जा सकता है । इसमें थोडे या पूरे समय के लिए औरतों को भी काम में लगाया जा सकता है ।
कच्चा माल : चॉक मुख्य रूप से प्लास्टर ऑफ पेरिस (Plaster of Paris) से बनाये जाते हैं । यह सफेद रंग का पाउडर होता है । यह वास्तव में एक प्रकार की मिट्टी है जिसे जिप्सम (Gypsum) नामक पत्थर से तैयार किया जाता है । आजकल जिप्सम को भूनने के लिए जिप्सम रोस्टर नामक यन्त्र का प्रयोग किया जाता है ।
जिप्सम रोस्टर ग्रीस के या मोबिल आयल के खाली ड्रम से बन सकता है । इस ड्रम के अन्दर होकर एक पाइप एक इंच व्यास का निकाल कर इसको ड्रम के साथ वैल्ड करवा दिया जाता है । इस ड्रम में एक मुंह लगभग 8 इंच चौकोर काटकर उस पर ढक्कन लगवा दिया जाता है । इस ड्रम को पाइप के साथ बियरिंगों पर टिका दिया जाता है । ड्रम के नीचे आग जलाते हैं और ड्रम को घुमाते रहते हैं । जब जिप्सम भुन जाता है तो ड्रम का मुंह खोलकर निकाल लेते हैं । फिर डिसइन्टीग्रेटर मशीन में बारीक पीस लिया जाता है ।
चॉक बनाने के यन्त्र : चॉक बनाने के लिए किसी मशीन की जरूरत नहीं पड़ती । इनको गन मैटल या अल्यूमीनियम के सांचों में बनाया जाता है ।
उत्पादन विधि (Manufacturing Process)
चॉक बनाने की तरकीब बड़ी आसान है। थोड़े से प्लास्टर ऑफ़ पेरिस में पानी डालकर हाथ से या लकड़ी के पतले तख्ते से चलाया जाता है । जब यह मिलकर लेर्इ (Paste) जैसी बन जाय तो सांचे के ऊपर इस तरह डाला जाता है कि सब छेदों में यह भर जाय । सांचे में यह मिश्रण भरने से पहले सांचे में छेदों में हल्का सा मोबिल आयल या 4 भाग मिट्टी के तेल में एक भाग मूंगफली का तेल मिलाकर बनाया हुआ तेल रूर्इ की फुरैरी से लगा दिया जाता है । ऐसा करने से चॉक छेद में चिपकता नहीं है । सांचे में 15-20 मिनट में ही प्लास्टर सूखकर जम जाता है, तब सांचे को खोलकर चॉक को निकाल दिया जाता है । इन्हें धूप में सूखने को रख दिया जाता है । अगर पानी में प्लास्टर ऑफ़ पेरिस मिलाने से पहले थोड़ा सा नील मिला दिया जाय तो चॉक की सफेदी खूब निखर आती है ।

चॉक ठीक बनी या नहीं
चॉक का प्रयोग ब्लैक बोर्ड पर लिखने में होता है, अत: ब्लैक बोर्ड पर ठीक तरह लिखने में बहुत धिसता है या लिखते समय वह टूटने लगता है तो समझ लें कि प्लास्टर ऑफ़ पेरिस खराब और कमजोर क्वालिटी का है, अत: दूसरी अच्छी क्वालिटी का प्रयोग करें । इसके विपरीत अगर चॉक बोर्ड पर ठीक तरह न लिखे, अर्थात सख्त हो तो इसमें चीनी मिट्टी की मात्रा बढ़ा देनी चाहिए । जब सन्तुष्ट हो जाएं कि चॉक ठीक बने हैं तभी बाजार में बेचने को भेजना चाहिए ।
चॉक की पैकिंग : चॉक पैक करने के लिए 227 ग्राम वजन वाले गत्ते के डिब्बे बजाये जाते हैं और प्रत्येक डिब्बे में 100 चॉक रखे जाते हैं ।
मशीन एवं उपकरण :
1. जिप्सम रोस्टर (Gypsum Roaster)
2. ग्राइन्डर या चक्की (Grinder)
3. स्क्रीन (Screen)
4. मिक्सिंगटैंक (Mixing Tank)
5. सांचा (Frame)
वित्तीय परियोजना (Cost Estimation of Chalk Unit)
1. उत्पादन क्षमता (Production Capacity) : 54,000 कि. ग्रा. प्रतिवर्ष
2. भूमि एवं भवन (Land & Building) : 200 वर्ग मीटर
3. मशीन एवं उपकरण (Machinery & Equipment) : 1.4 लाख
4. कुल अनुमानित लागत (Estimated Capital Investment) : 9.5 लाख
(ख) स्लेट-पेन्सिल (Slate-Pencil): स्लेट पेन्सिल और स्लेट प्रत्येक स्कूल में प्रारम्भिक कक्षाओं में प्रयोग होने वाली चीजें हैं । भारत में स्कूलों की संख्या लाखों हैं, जिनमें करोड़ों बच्चे पढ़ते हैं । ये सब कच्चे स्लेट पेन्सिलों के खरीदार हैं । भारत में प्रतिदिन हजारों रुपये की स्लेट- पेन्सिलें बिकती हैं और इस साधारण से दिखार्इ पड़ने वाले उधोग में अच्छा लाभ है ।
कच्चे पदार्थ : स्टेट पेन्सिल बनाने के लिए प्लास्टर ऑफ़ पेरिस हाइटिंग (खडि़या मिट्टी), गोंद, सोडियम सिलिकेट, आदि की आवश्यकता पड़ती है ।
स्लेट पेन्सिल बनाने की मशीन : स्लेट पेन्सिल बनाने के लिए ऐक्स्ट्रयूजन टाइप की मशीन प्रयोग की जाती है । मशीन के ऊपर के भाग में जो खाली जगह है, उसमें स्लेट पेन्सिल का मसाला भरकर मशीन के हैण्डिल को घुमाते रहते हैं तो नीचे से स्लेट पेन्सिल की लम्बी-लम्बी बत्तियां निकलती हैं जिन्हें टीन के लम्बे सपाट टुकड़ों पर लेते जाते हैं । और इन लम्बी-लम्बी बत्तियों में से आवश्यकतानुसार साइज के छोटे टुकड़े काट दिये जाते हैं । इन्हें धूप में सूखने को रख दिया जाता है, और सूख जाने पर इन्हें डिब्बों में पैक कर दिया जाता है । इन स्लेट पेन्सिलों की नोंके नहीं बनार्इ जाती, क्योंकि नोंके बनाने में काफी समय लग जाता है । परन्तु यदि नोकें बनानी हो तो हाथ से चलने वाली ग्राइन्डर पर इनके सिरे को रगड़कर नोंक बना ली जाती है । स्लेट पेन्सिल बनाने की मशीन दिन भर में लगभग 40 किला ग्राम स्लेट पेन्सिल तैयार कर सकती है ।
स्लेट पेन्सिल बनाने की विधि : स्लेट पेन्सिल बनाने की विधि बड़ी आसान है । खडि़या मिटटी और प्लास्टर ऑफ पेरिस को सूखा मिलाकर ग्राइंडर में पीसकर बारीक छलनी से छान लिया जाता है । बबूल का गोंद थोड़ा गर्म पानी में भिगोकर रख दिया जाता है और जब गोंद पानी में घुल जावे तो इसे भी छलनी या कपड़े में छान लिया जाता है ताकि कूड़ा-कचरा कपड़े पर ही रह जाय और साफ गोंद का लुआव बाहर आ जाये । अब सोडा सिलिकेट का घोल खडि़या-प्लास्टर के मिश्रण में मिलाकर लकड़ी की मोगरी से कूटकर गूंधे हुए आटे जैसा बना लिया जाता है । इसे मशीन में भरकर स्लेट पेन्सिल तैयार कर लें।
मशीन एवं उपकरण (Machinery & Equipments)
1. चक्की या ग्राइन्डर (Grinder)
2. स्लेट पेन्सिल बनाने की मशीन (Pencil Making Machine)
3. स्क्रीन (Screen)
वित्तीय परियोजना (Cost Estimation of Slate – Pencil Project)
1. उत्पादन क्षमता (Production Capacity) : 15,000 कि. ग्रा. प्रतिवर्ष
2. भूमि एवं भवन (Land & Building) : 200 वर्ग मीटर
3. मशीन एंव उपकरण (Machinery & Equipment) : 0.75 लाख
4. कुल अनुमानित लागत (Estimated Capital Investment) : 3.75 लाख
कोल्ड क्रीम (Cold Cream)
भूमिका : वर्तमान युग में कोल्ड क्रीम बहुत ही प्रचलित एवं लोकप्रिय सौंदर्य प्रसाधन है । इसका प्रयोग स्त्री पुरूष दोनों ही करते हैं । लेकिन स्त्रियों के लिए यह विशेष आकर्षण की चीज है । इसे चेहरे (Face)पर अच्छी तरह से मालिश कर लेने से त्वचा मुलायम होती है और लोच (Softness)आती है, तथा रूखापन मिट जाता है । इसे चेहरे पर लगाने से हल्का ठंडा महसूस होता है । इसका कारण यह है कि इसमें पानी की मात्रा मौजूद होती है जो धीरे-धीरे वाष्पीकृत (Vaporise) होती है जिससे चेहरा ठंडा रहता है।
बनाने की विधि (Manufacturing Process) : कोल्ड क्रीम के उत्पादन के लिए एक वाटर जैकेटेड मिक्सिंग मशीन (Water Jacketed Mixing Machine) में मोम को पहले डाल दिया जाता है । मशीन को फरनेस (Furnace) या उसमें लगे हीटर के सहारे गर्म किया जाता है । इससे जैकेट के अन्दर रखा पानी गर्म होता है जिससे बर्तन में रखा मोम गर्म होकर पिघल जाता है । अब इसमें द्रव पैराफिन (Liquid Paraffin) मिलाकर 800 सें.ग्रे. तक गर्म किया जाता है । स्टैनलेस स्टीन (Stainless Steel) के दूसरे बर्तन में पानी डालकर गर्म करते हैं तथा इसमें सुहागा (Borax) अथवा अन्य एमलशन बनाने में सहायक केमिकल जैसे कास्टिक पोटाश (Castic Potash) या ट्रार्इइथानोलएमाइन (Triethanolamine) आदि मिला देते हैं । इस मिश्रण को भी 800c तक गर्म करते हैं । इस मिश्रण को मोम वाले मिश्रण में मिलाकर मशीन को चला दिया जाता है, जिससे उसमे लगे ब्लेड (Blade) के तेजी से घूमने से उसमें रखे पदार्थ अच्छी तरह मिश्रित हो जाते हैं । जब क्रीम तैयार हो जाती है तो उसे ठंडा करके उसमें सुगन्धि (Essence) मिलाकर धीरे-धीरे मशीन को चलाकर मिलाया जाता है । इसके बाद तैयार क्रीम को, मशीन को झुकाकर, दूसरे बर्तन में निकाल लिया जाता है । इसे बाजार में उपभोक्ता मांग के अनुसार आकर्षक (Attractive) पैकिंग किया जाता है । इसके बाद यह बिक्री के लिए तैयार हो जाता है ।
वित्तीय परियोजना (Cost Estimation of Cold Cream Unit)
1. उत्पादन क्षमता (Production Capacity) : 3 लाख पैक प्रतिवर्ष
2. भूमि एवं भवन (Land & Building) : 500 वर्ग मीटर
3. मशीन एंव उपकरण (Machinery & Equipment) : 5 लाख
4. कुल अनुमानित लागत (Estimated Capital Investment) : 30 लाख
डेरी उद्योग (Dairy Industry)
हमारे देश की प्रगति के साथ-साथ डेरी उद्योग ने भी काफी उन्नति की है । ग्रामीण विकास परिषद द्वारा ग्रामीण उद्योगों को बढ़ावा देने से सरकार द्वारा कर्इ प्रकार की सुविधाएं, ऋण, सब्सिडी आदि दिये जा रहे हैं। गांवों में ही कहीं-कहीं ग्रामीण बैंक खोले गये हैं जो खेती के लिए सब प्रकार की सहायता प्रदान करते हैं ।
सरकार द्वारा समय-समय पर घोषित अनेक योजनाओं एवं नीतियों से दूध के उत्पादन को बढ़ावा मिला है । व्यापक ग्रामीण योजनाओं, कार्यक्रमों के द्वारा भी गांव के पिछडे़ क्षेत्र के विकास पर काफी खर्च किया जा रहा है जिससे समाज के कमजोर वर्गों छोटे किसानों को भी मदद और राहत मिल सके । यह अनुमानित है कि आठवीं पंचवर्षीय योजना से गांवों में दूध का उत्पादन 900 लाख टन से बढ़कर 1200 लाख टन हो गया है ।
दूध और दूध से बनने वाले विभिन्न प्रकार के पदार्थ हैं जिनको औधोगिक दृष्टि से बड़ी तादाद में बनाया जा सकता है । इनमें डेरी के सभी प्रकार के उत्पादन (Production) जैसे- पनीर, मक्खन, दही, क्रीम, घी, केसीन, दूध पाउडर, आइस-क्रीम आदि का निर्माण किया जा सकता है ।
आज भी देश में जितना दूध का उत्पादन होता है । उसका एक बहुत बड़ा भाग उसके अन्य रूपों जैसे घी, खोया, मक्खन, क्रीम, पनीर इत्यादि में परिवर्तन कर दिया जाता है । इसके अतिरिक्त हमारे देश में बहुत से ऐसे स्थान हैं या गांव हैं, जहां पर दूध का उत्पादन प्रतिदिन काफी मात्रा में होता है जबकि खपत बहुत कम होती है । दूध एक ऐसी खाद्य वस्तु है जिसको अधिक समय तक उसकी प्राकृतिक स्थिति में रखना सम्भव नहीं होता । अत: इसलिए दूध को उसके रूपों में परिवर्तित कर दिया जाता है ।
गांवों में आज भी कर्इ स्थान ऐसे हैं जहां पर उत्पादन काफी अधिक है । वहां से दूसरे स्थानों पर दूध उपलब्ध कराने के लिए भी दूध को विभिन्न रूपों में परिवर्तित करना अनिवार्य हो जाता है क्योंकि दूध को प्राकृतिक रूप में दूर स्थित स्थान पर ले जाना सम्भव नहीं होता । एक तो इसको लाने ले जाने, में खर्च काफी पड़ता है तथा समय भी काफी बर्बाद हो जाता है । अत: इन कमी वाले स्थानों पर दूध को पहुंचाने के लिए इसको विभिन्न रूपों में बदलना पड़ता है । इससे एक तो दूध खराब भी नहीं होता, दूसरे अधिक समय तक रखकर इसको उपयोग में भी लाया जा सकता है ।
हमारे देश में डेरी उधोग में पिछले पन्द्रह वर्षों में काफी परिवर्तन आया है । नये-नये वैज्ञानिक आविष्कारों तथा विभिन्न प्रकार की मशीनरी व उपकरणों का देश में इस दूध उत्पादन के लिए निर्माण किया गया है । आजकल नर्इ टैक्निक आदि के कारण डेरी उधोग प्रारम्भ करना काफी सरल और सुविधाजनक हो गया है ।
डेरी उधोग को गांव या शहर कहीं भी, किसी भी स्थान पर, जहां दूध पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो सके, शुरू किया जा सकता है क्योंकि यह दैनिक उपयोग में आने वाली आवश्यक खाद्य वस्तु है । इसलिए इसके बाजार और बिक्री की भी कोर्इ समस्या नहीं होती । डेरी या दूध के उद्योग को शुरू करने के लिए कोर्इ विशेष पूंजी और जगह को भी आवश्यकता नहीं पड़ती ।
डेरी उधोग के अन्तर्गत दैनिक उपयोग में आनेवाले कर्इ खाद्य पदार्थ हैं जिनका संबंध दूध उद्योग के उत्पादन पर पूर्ण रूप से निर्भर रहता है ।
पनीर : चीज (Cheese) जिसे भारत के कुछ भागों में पनीर भी कहा जाता है, दूध से बना पदार्थ है जो गरम उबले दूध में खट्टा डालकर, फाड़ा जाता है । यह दूध के फटने से बनता है और उसके बाद उसमें से पानी निकाल दिया जाता है । इसमें वसा घुलनशील विटामिन, प्रोटीन, खनिज आदि बहुत अधिक होते हैं । इसे सब्जियों में इसी रूप में नमक डालकर पकाया जाता है या इस्तेमाल बंगाली मिठाइयों, पकौड़ों, सैंडविच आदि के लिए किया जाता है । बाजार में विभिन्न प्रकार के पनीर उपलब्ध होते हैं ।
क्रीम बनाना (Cream Production)
दूध द्वारा अन्य उत्पादन तैयार करने के लिए सबसे पहले काम होता है, क्रीम निकालना । इस कार्य को करने के लिए हमारे देश में मुख्य रूप से दो विधियां प्रयोग में लार्इ जा रही हैं ।
1. ग्रेविटी पद्धति (Gravity Process) द्वारा क्रीम निकालना
2. सैपरेटर पद्धति (Separator Process) द्वारा क्रीम निकालना ।

मक्खन (Butter)
दैनिक उपयोग की खाद्य वस्तु होने से और मक्खन की मांग से उसका विशेष महत्व हो गया है । मक्खन का प्रयोग आजकल घी के स्थान पर किया जाने लगा है क्योंकि यह एक तो हजम जल्दी हो जाता है, साथ ही साथ नमकीन होने के कारण स्वादिष्ट भी अधिक लगता है । मक्खन अधिकतर खाने के साथ तथा ब्रेड में लगाकर ही प्रयोग में लाया जाता है ।
इसको बनाने की दो विधियां अधिक प्रचलित हैं ।
1. क्रीम (Cream) द्वारा 2. दही (Curd) द्वारा
डेरी उद्योग में विशेषकर क्रीम से ही मक्खन बनाया जाता है । घरों में अधिकतर दही जमाकर मक्खन बनाते हैं । मक्खन बनाने के लिए सबसे पहले क्रीम को पकाया जाता है या खट्टा किया जाता है । बडे़-बड़े डेरी उद्योग क्रीम का पेस्टयूराइजेशन करते हैं । इस क्रिया से यह लाभ होता है कि जो जीवाणु मक्खन को खराब करते हैं, वह इस क्रिया के द्वारा मर जाते हैं और मक्खन अधिक समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है । साथ ही साथ यह स्वास्थ्य की दृष्टि से भी लाभदायक बन जाता है तथा हानि रहित हो जाता है । पेस्टयूराइजेशन प्रक्रिया में क्रीम को 1800 से लेकर 1900 फारेनहाइट तक गरम करते हैं । इसके बाद इसे एकदम ठंडा कर लिया जाता है और खूब अच्छी तरह हिलाते जाते हैं । ऐसा करने से मक्खन ऊपर तैरने लग जाता है तथा छाछ नीचे रह जाती है । मक्खन को ऊपर से अलग कर लिया जाता है । जो मशीन व उपकरण इसमें प्रयोग किये जाते हैं उनको बटर चर्नर के नाम से जाना जाता है । यह मशीन लकड़ी के एक गोल ड्रम के आकार की होती है जिसका बाहरी भाग लकड़ी की पट्टियों का बना होता है, जिसमें पानी भरा रहता है ।
मक्खन को काफी समय तक सुरक्षित रखने के लिए कुछ मात्रा में साल्ट मिला दिया जाता है ताकि यह खराब न हो और मक्खन में बैक्टीरिया र्इस्ट तथा मोल्ड आदि पैदा न हों । नमक की मात्रा मक्खन में 2.5 प्रतिशत रखना उपयुक्त होता है ।
मक्खन डेरी उधोग का एक बहुत महत्त्वपूर्ण उत्पादन है जिसे तैयार क्रीम को बिलोकर तैयार किया जाता है । तैयार मक्खन में लगभग 83 प्रतिशत मक्खन वसा होती है । मक्खन लवणयुक्त या लवण रहित हो सकता है ।
विपणन संभावनाएं
वर्तमान में लोगों को दूध और दूध से बने पदार्थों का उचित दामों पर उपलब्ध कराने की आवश्यकता है जिसे देश के विभिन्न क्षेत्रों में छोटे पैमाने पर आधुनिक डेरी यूनिट स्थापित करके प्राप्त किया जा सकता है । इस महत्त्वपूर्ण कृषि आधारित उद्योग का विकास करने से सुदृढ़ बाजार के जरिए दूध उत्पादन क्षेत्रों और दूध खपत केन्द्रों में मक्खन उत्पादन रोजगार के अवसर बढ़ने में सहायता मिलेगी ।
पनीर बनाने का उद्योग : व्यवसायिक दृष्टि से कर्इ प्रकार के पनीर बनाये जाते हैं किन्तु नीचे दिया गया प्रोसेस भैंस के दूध से बनाए जाने वाले चेडर पनीर के बारे में है । भैंस का कच्चा दूध होना चाहिए । बेहतर हो यदि वह ताजा हो जिसमें 15 प्रतिषत दुग्धम्ल से अधिक अम्ल न हो । दूध को, मखनिया दूध जिसमें 4.5 - 4.8 प्रतिशत वसा के अंश होते हैं से मानकीकृत किया जाता है । मानकीकृत दूध को 5 मिनट के लिए 710 सेंटीग्रेड पर पास्चुरीकृत किया जाता है और उसे पश्चात 100 सेंटीग्रड पर ठंडा किया जाता है । पास्चुरीकृत दूध को अपेक्षित मात्रा में उपयुक्त जीवाणुओं के साथ संचारित किया जाता है और दूध को 12 घंटे के लिए 8-100 सें. पर रखा जाता है । दूध को तब आगे प्रोसेस के लिए जीवाणुरहित पॉट में डाला जाता है, जहां जैकेट में गरम पानी संचारित करके तापमान 34-35 सेंटीग्रेड तक बढ़ा दिया जाता है । कैल्सियम क्लोराइड का 40 प्रतिशत घोल प्रति 100 लीटर दूध में 15 मिलीलीटर की दर से मिलाया जाता है । 100 लीटर दूध में 2.3, 5 ग्राम की दर से हेन्सर का पाउडर रेनर प्रयोग किया जाता है । जमान डले दूध को तब तक जमाया जाता है तब तक कि दही का गाढ़ापन, चेडर पनीर बनाने के लिए अपेक्षित गाढ़ेपन के बराबर न हो जाए । तब इसे घन के आकार में काटा जाता है, जिसे 5 मिनट तक वैसे ही छोड़ दिया जाता है । तब दही को इसका तापमान 390 सेंटीग्रेड होने तक धीरे-धीरे पकाया जाता है और इस तापमान को लगातार लगभग 10 मिनट तक बनाए रखा जाता है । वेट के पदार्थ का तापमान लगभग 10 मिनट में बढ़ाकर 43-440 सें. कर दिया जाता है और इसे आगे 10 मिनट तक बनाए रखा जाता है । फिर इसे ठंडा पानी संचारित करके 34-350 सें. ग्रेड तक कम किया जाता है । तैयार दही बैट के सिरे में एकत्र किया जाता है और इसे बैट के तले पर जमने दिया जाता है । तब बैट को ढक्कन से ढक दिया जाता है और इसकी अंतसामग्री को 8-10 घंटे के लिए दही के पानी की अम्लता बढ़कर 0.4-0.45 प्रतिशत हो जाने तक ऐसे ही छोड़ दिया जाता है । इस बीच तापमान 34-460 सें. तक रख जाता है । तब दही का पानी निकाल दिया जाता है और दही के पिण्ड को लम्बे टुकड़ों में काट दिया जाता है और मिप्लेंग मशीन के जरिए अपेक्षित छोटे घनों में तैयार किया जाता है । दही के अंश को उसी रूप में बैट में छोड़ दिया जाता है और इसे गरम पानी से 4-5 मिनट तक इस बात का ध्यान रखते हुए धोया जाता है कि दही के घन पानी में न तैरें । गरम पानी निकाल दिया जाता है और घुले हुए दही को 35 ग 28 ग 10 सें.मी. की घेरेदार पट्टियों में भरा जाता है और तब इसे दबाया जाता है । इसके बाद पनीर का ब्लाक उपलब्ध हो जाता है जिसमें पिसा हुआ नमक मिलाया जाता है और इसे 48 घंटे के लिए कोल्ड फ्रीजर में रख दिया जाता है । (5-10 सेंटीग्रेड और 90 प्रतिशत सापेक्ष आर्द्रता में) पनीर के ब्लाक को एक बार पलटा जाता है और उसमें 24 घंटे तक सूखने के बाद नमक मिलाया जाता है । नमक मिलाने और कुल 48 घंटे तक सूखने के बाद पनीर को 18 प्रतिशत लवण घोल में डुबोया जाता है, जिसे 2:1 में पास्चुरीकृत दही का पानी और जल मिलाकर तथा उपयुक्त मात्रा में नमक मिलाकर तैयार किया जाता है और इसे 12-15 घंटे के लिए 15-160 सेंटीग्रेड के आर्द्रता नियंत्रण कक्ष और 10 प्रतिशत सापेक्ष आर्द्रता में रखा जाता है । पीनर के ब्लाकों को तब निकाल लिया जाता है और उसी तापमान पर 2-3 सप्ताह तक सूखने के लिए छोड़ दिया जाता है । इसके पश्चात इन्हें 500 सें. पर जल से धोया जाता है । सुखाया जाता है, पैराफिन किया जाता है और आगे अधिक तैयार होने के लिए कोल्ड फ्रीजर में 4-5 सप्ताह के लिए रखा जाता है । इसके तैयार होने में कुल समय लगभग 8-9 सप्ताह लगता है ।
वित्तीय परियोजना (Cost Estimation of Dairy Products)
1. स्किम्ड मिल्क पाउडर (Skimmed Milk Powder) : 1800 कि. ग्रा. प्रतिदिन
मक्खन (Butter) : 500 कि. ग्रा. प्रतिदिन
घी (Ghee): 600 कि. ग्रा. प्रतिदिन
पनीर (Butter): 200 कि. ग्रा. प्रतिदिन
2. भूमि एवं भवन (Land & Building) : 2000 वर्ग मीटर
3. मशीन एंव उपकरण (Machinery & Equipment) : 32 लाख
4. कुल अनुमानित लागत (Estimated Capital Investment) : 272 लाख
पेपर पिन (आलपिन) तथा जेम-क्लिप बनाना (Manufacturing of Alpins & Gem Clips)
(क) पेपर पिन : भारत ने स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद हर दिशा में उन्नति की है । उधोग व्यापार के क्षेत्र में तो इसने आश्चर्यजनक गति से उन्नति की है, जिसके फलस्वरूप नित नये उधोग खुल रहे हैं । जहां तक दफ्तरों का संबंध है पेपर-पिन (आलपिन) दफ्तर की स्टेशनरी का महत्वपूर्ण अंग है इनके बनाने में अच्छा मुनाफा मिल रहा है । अगर अच्छी क्वालिटी की पिनें तैयार की जाएं तो उनकी बहुत मांग हो सकती है ।
पेपर पिनें बनाने का काम थोड़ी सी पूंजी लगाकर अच्छी तरह से चलाया जा सकता है । पेपर पिन बनाने की आटोमैटिक मशीन आयात की जाती है और भारत में भी बनती है ।
यह मशीन 20, 21 और 22 गेज के तार से पिन बना सकता है । यह एक मिनट में पौन इंच से लेकर डेढ़ इंच तक लम्बी 300 से 470 पिनें बनाती है ।
मशीन पूर्णत: आटोमैटिक है । तार का बण्डल मशीन के पास रखे हुए रील स्टैंड पर चढ़ा लिया जाता है और मशीन के मोटर को स्टार्ट कर देते हैं । मशीन के दूसरी तरफ तैयार आलपिनें गिरती रहती हैं । मशीन की बनावट सीधी-साधी है, अत: एक साधारण मिस्त्री, इस पर अच्छी तरह काम कर सकता है ।
मशीन व उपकरण विधि : (क) आटोमैटिक पेपर पिन मेकिंग मशीन (ख) लगाने का खर्च व टूल्स आदि (एक हार्स पावर बिजली मोटर के साथ)
कच्चा माल : हर महीने 325 कि.ग्रा. पिनें बनाने के लिए 340.5 कि.ग्रा. तार की आवश्यकता पडे़गी ।
(बाकी तार वेस्टेज में जायेगा ।)
इलेक्ट्राप्लेटिंग (Electroplating)
पेपर पिनों पर बाजार से निकल की इलैक्ट्रोप्लेटिंग भी करना होगा, तथा पैकिंग, मजदूरी दफ्तर व सेल्स मैन आदि के खर्च भी पड़ेंगे ।
नोट : बाजार में डिब्बे में जो पेपर पिनें मिलती हैं वे एक साइज की नहीं होती । इसमें कुछ आधा इंच, कुछ पौन इंच, कुछ एक इंच लम्बी होती है । हमने यहां जो हिसाब लगाया है वह एक इंच लम्बी पिन का है, जो कि 20 गेज के तार से तैयार की जाएगी । एक पौंड वजन में इस साइज की औसतन 3600 पीनें बनती हैं ।
(ख) जैम क्लिप (Gem Clips) : भारत में उद्योग-व्यापार बढ़ रहा है और प्रतिदिन अनेंकों नये दफ्तर खुल रहे हैं । इन दफ्तरों में काम आने वाली स्टेशनरी की चीजों में जैम क्लिपों का भी महत्त्वपूर्ण स्थान है । इसी कारण इनके बनाने में अच्छा लाभ है । कर्इ डिजाइनों के और कर्इ साइजों के जैम क्लिप बाजार में बिकते हैं, परन्तु यहां हम 28 किलोमीटर लम्बे और 20 गेज तार से बनाए जाने वाले सादे जैम क्लिपों के बनाने की स्कीम दे रहे हैं । इस प्रकार के जैम क्लिप सबसे अधिक बिकते हैं । कितने वजन का तार लगेगा यह जैम क्लिप की लम्बार्इ और तार के गेज पर निर्भर करता है । जैम क्लिप वजन के हिसाब से नहीं बलिक गिनती के हिसाब से बेचे जाते हैं । एक सौ जैम किलप एक छोटे डिब्बे में रखे जाते हैं, अर्थात बड़े डिब्बे में 1000 जैम क्लिप होते हैं ।
कच्चा माल : जैम किलप 16 से लेकर 20 गज तक के लोहे के तार से बनाए जाते हैं । एक तार पर प्राय: तांबे का हल्का सा कोट होता है । इससे यह लाभ रहता है कि इस तार पर निकल प्लेटिंग आसानी से हो जाती है । इस तार की बजाय इसी गेज का जस्ती तार भी किया जा सकता है । जैम क्लिप के लिए ऐसा बण्डल लिया जाता है, जिसमें तार के कुछ टुकडे़ हों, अर्थात पूरा साबुत तार न हो क्योंकि ऐसे तार के बण्डल सस्ते पड़ते हैं । इसी आधार पर यहां दी जाने वाली स्कीम में हिसाब लगाया गया है । जैम किलप के 1000 बडे़ डिब्बे (एक डिब्बे का वजन 1 पौंड) हर महीने तैयार करने के लिए 10.50 पौंड तार की जरूरत पडे़गी ।
इलैक्ट्राप्लेटिंग (Electroplating) : तैयार जैम क्लिपों पर निकल की प्लेटिंग की जाती है । यदि अपनी इतनी पूंजी हो कि इलैक्ट्राप्लेटिंग का सामान भी खरीद सकें तो इलेक्ट्राप्लेटिंग बहुत सस्ता हो जाएगा । वैसे बाजार से इलैक्ट्रोप्लेटिंग करवाया जा सकता है ।
यह आटोमैटिक मशीन एक मिनट में 120 से 160 तक जैम क्लिप तैयार कर देते हैं। क्लिप 28, 30, 32 और 35 मिलीलीटर लम्बार्इ के बना सकती है। यह आधे हार्स पावर के बिजली के मोटर से चलती है । मशीन का वजन लगभग 250 कि.ग्रा. है। यह आधे हार्स पावर के बिजली के मोटर से चलती है । मशीन का वजन लगभग 250 कि.ग्रा. है । यह मशीन स्वयं सारा काम करती है, इसलिए इससे काम लेने में कोर्इ परेशानी नहीं होती है ।
इस मशीन को खरीदकर आप जैम क्लिप बनाने का कारखाना शुरू कर सकते हैं । इस कारखाने में आपको खर्चे करने पड़ेंगे व जो आमदनी होगी उसका अनुमानिक मासिक हिसाब नीचे दिया गया है ।
मशीनरी एवं उपकरण : 1. जैम क्लिप बनाने की आटोमैटिक मशीन (मोटर सहित) 2. मशीन लगाने की खर्च
3. हाथ के फुटकर औजार
वित्तीय परियोजना (Cost Estimation of Paper Pin & Gem Clips)
1. उत्पादन क्षमता (Production Capacity) :
पेपर पिन (Paper Pin) : 360 लाख प्रतिवर्श
जैम किलप (Gem Clips) : 180 लाख प्रतिवर्श
2. भूमि एवं भवन (Land & Building) : 150 वर्ग मीटर
3. मशीन एंव उपकरण (Machinery & Equipment) : 3.8 लाख
4. कुल अनुमानित लागत (Estimated Capital Investment) : 6 लाख
कॉर्न फ्लेक्स (Corn flakes)
प्रस्तावना (Introduction) : कॉर्न फ्लेक्स, जैसा कि इसके नाम से ही प्रकट है, कॉर्न अर्थात मक्का से बनाए जाते हैं । जिस प्रकार चावलों को रोलरों में दबाकर चावल कागज जैसा पतला व चपटा होकर परमल या चीवड़ा बन जाता है (इसे अंग्रेजी में राइस फ्लेक्स कहा जाता है) उसी प्रकार मक्का के भी फ्लेक्स बन जाते हैं । मक्का की तरह गेहूं के फ्लेक्स भी बनाए जाते हैं ।
कॉर्न फ्लेक्स मशीनों से तैयार किए जाते हैं और इनकी हल्की आंच पर सेंककर प्लास्टिक की थैलियों में पैक करके बेचा जाता है । दूध में इसे डालने पर फूलकर रबड़ी की तरह हो जाता है और खाने में अत्यन्त स्वादिष्ट होता है । स्वास्थ्यवर्धक होने के साथ-साथ वह शीघ्र ही हजम हो जाता है । अत: नाश्ते में इसका सेवन किया जाता है । इसको ब्रेकफास्ट फूड कहा जाता है । कॉर्न की तरह गेहूं के फ्लेक्स भी बहुत प्रयोग होते हैं ।
कॉर्न फ्लेक्स बहुत ही महत्वपूर्ण खाद्य पदार्थ है । यह केवल स्वास्थ्यवर्धक (Nutritive) ही नहीं है बल्कि कर्म खर्च में शरीर को हृष्ट-पुष्ट (Maintain) रखने का बहुत ही अच्छा अल्पाहार (Shortmeal) है चूंकि इसका उत्पादन वैज्ञानिक (Scientific) विधि से किया जाता है, अत: इसकी पौष्टिकता और भी बढ़ जाती है । सामान्य लोगों के शरीर की अनुकूलता (Suitability) को ध्यान में रखते हुए इसका फार्मूलेशन किया जाता है । अत: यह उद्योग खाद्य पदार्थ संसाधन (Food Preservation) तथा मनुष्य के व्यस्त जीवन दोनों ही दृष्टि से बहुत ही उपयोगी है । यह उद्योग कृषि से उत्पन्न कच्चे माल पर आधारित है । अत: इसका महत्व और भी बढ़ जाता है । इस उधोग का कच्चा माल (मक्का) बहुत ही सस्ते मूल्य पर बहुताय से उपलब्ध है । जिस क्षेत्र एवं समुदाय में मक्का खाने का प्रचलन नहीं है, वे भी कॉर्न फ्लेक्स को बहुत ही पसंद से खाते हैं ।
मार्केट सर्वेक्षण (Market Survey) : कॉर्न फ्लेक्स बहुत ही लोकप्रिय एवं प्रचलित तैयार खाद्य पदार्थ (Ready to eat food) है । जनसंख्या में वृद्धि रहन-सहन के स्तर में उत्थान तथा क्रय-शक्ति (Purchasing Power) में सम्पन्नता (Prosperity) के साथ हमारे देश में इसका उपभोग (Consumption) बहुत ही द्रुत गति से बढ़ रहा है । यह पदार्थ होटल, रेस्तरां (Restaurant),क्लब आदि की आवश्यकता की पूर्ति के अतिरिक्त व्यकितगत मांग की पूर्ति करता है । लेकिन मार्केट सर्वे से यह अनुमान लगाया गया है कि वर्तमान उत्पादन क्षमता इसकी मांग को पूरा करने की हालत में नहीं है । भविष्य में इसकी खपत और बढ़ने की उम्मीद की जा सकती है । स्वदेशी मांग के अलावा कॉर्न फ्लेक्स के निर्यात की भी अच्छी संभावना है, क्योंकि विकसित देशों में इसकी खपत बहुत अधिक है । इस उद्योग के लिए आवश्यक मशीन-उपकरण तथा कच्चा माल अपने देश में उपलब्ध है। अत: कॉर्न फ्लेक्स उत्पादन का उद्योग लगातार सफलतापूर्वक चलाने का अच्छा स्कोप है ।
उत्पादन-विधि (Manufacturing Process) : कॉर्न फ्लेक्स बनाने के लिए पीली अथवा सफेद, दोनों प्रकार की मक्का प्रयोग की जा सकती है लेकिन पीली मक्का से फ्लेक्स का रंग ज्यादा गहरा बनेगा । मक्का के दानों को चुनकर साफ कर लिया जाता है । फिर इन पर पालिस की जाती है, ताकि इन पर लगा हुआ कूड़ा, कचरा तथा बूसी उतर जाये । मक्का के ऐसे मोटे दाने, जो नं. 6 मैश छलनी में से न निकल सकें अच्छे रहते हैं ।
अब पालिस किए हुए दानों को एक रोटरी स्टीम कुकर में उबाला जाता है । इस कुकर में एक बार में लगभग 540 कि.ग्रा. मक्का आती है । मक्का के घान (बैच) को तोलकर इस कुकर में डाला जाता है जहां इस पर स्टीम छोड़ी जाती है और लगभग दो घंटे तक इस स्टीम छोड़ते रहते हैं । इसके बाद इनमें स्वाद बढ़ाने के लिए शक्कर का शरबत व नमक अथवा अन्य स्वास्थ्यवर्धक रचक जैसे माल्ट सीरप आदि मिलाए जाते हैं ।
इन उबले हुए दानों को एक ऐसे यन्त्र में डालते हैं, जिसमें आगे-पीछे झटका देकर हिलाने का प्रबंध होता है, ताकि ये दाने अलग-अलग हो जायें । इन दोनों को अब एक बहुत बड़े बर्तन (लगभग 8 मीटर डायमीटर वाले), जिसमें एक स्टिरर भी फिट हो, में डाल दिया जाता है ताकि ये कुछ ठंडे हो जायें । अब इन दोनों को ड्रायर ओवन में ले जाया जाता है, ताकि इनमें उपसिथत फालतू पानी उड़ जाय और लगभग 15 प्रतिशत आर्द्रता का अंश इनमें रह जाय । अब इन दानों को टैम्परिंग टंकियों में भर दिया जाता है, ताकि आर्द्रता का अंश समस्त दानों में एक समान हो जाए ऐसा न हो कि कुछ दाने बिल्कुल सूख जाएं तो कुछ ज्यादा गीले रह जाएं । अगर ऐसा हो गया तो मशीन के रोलरों में दबाते समय (अर्थात कॉर्न फ्लेक बनाते समय) फ्लेक्स मोटे पतले बनेंगे । जो ज्यादा गीले होंगे वह फैलकर बहुत पतले हो जाएंगे और जो ज्यादा सूखे रहेंगे वह कम दब पायेंगे अत: मोटे-मोटे रज जायेंगे । इन्हीं कारणों से दानों का टैम्परिंग करना आवश्यक होता है, ताकि इनमें आर्द्रता एक जैसी रहे ।
इन टैम्पर किए हुए दानों को हैवी ड्येटी फ्लेकिंग मशीन से होकर पास कराया जाता है । इस मशीन में 20 इंच व्यास के और 24 इंच लम्बाई के, पानी से ठंडे रहने वाले एक जोड़ी रौलर लगे होते हैं । इन, रौलरों में से निकालने पर दाने चपटे हो जाते हैं अर्थात् फ्लेक्स बन जाते हैं । इन फ्लेक्स की रोटरी ओवन में सेंका जाता है । यह ओवन गैस द्वारा गर्म किया जाता है । ओवन के अन्दर शंकु का घूमने वाली सिलेन्डर लगा होता है । इस सिलेन्डर के बाहर का कवच इन्सूलेटेड होता है तथा अन्दर की ओर परफोरेटेड धातु की स्क्रीन लगी होती है । फ्लेक्स सिंकने के पश्चात सिलेन्डर के अन्तिम सिरे पर से एक कन्वेयर बैल्ट पर गिरते हैं और कन्वेयर बैल्ट पर ये पैकिंग करने के लिए बड़े-बड़े ड्रमों में गिरते जाते हैं । यहां से तुरंत ही इन्हें निकाल कर पैक कर लिया जाता है। क्योंकि यदि इन्हें तुरंत पैक न किया गया तो अर्द्रताग्राही होने के कारण ये सील जाते हैं । पैकिंग के लिए पॉलीथीन प्लास्टिक की थैलियां प्रयोग में लाई जाती हैं । यदि विटामिन्स मिलाने हों तो पैकिंग करने से कुछ ही पहले मिला दिए जाते हैं ।
व्हीट फ्लेक्स और राइस फ्लेक्स : गेहूं और चावल के फ्लेक्स भी उपरोक्त उपकरणों द्वारा बनाए जा सकते हैं । इनको पकाने के ताप, टैम्पर करने के ताप और आर्द्रता का अंश इनमें फेर-बदल करना आवश्यक होगा ।
कॉर्न फ्लेक्स इंडस्ट्री की योजना : कॉर्न फ्लेक्स उत्पादन के लिए उद्योग ऐसे क्षेत्र में स्थापित करना ज्यादा लाभप्रद होगा, जहां मक्का (Maize) की पैदावार अच्छी हो ।
प्रतिदिन एक टन कॉर्न फ्लेक्स बनाने का कारखाना स्थापित करने के लिए पूंजी खर्च व आमदनी का विवरण निम्नलिखित है ।
कॉर्न फ्लेक्स बनाने के लिए सम्पूर्ण प्लान्ट का आयात करना होगा अथवा खाद्य पदार्थ निर्माण उद्योगों में काम आने वाली मशीनरी बनाने वाली फर्मों से इनकी विभिन्न मशीनें आर्डर देकर बनवाई जा सकती है ।
1. रोटरी स्टीम कुकर 2. टेम्परिंग टैंक 3. बाइब्रेटिंग स्क्रीन (Vibrating Screen)
4. कॉर्न ब्रेकिंग मशीन 5. स्टिरर लगा परात जैसा बड़ा बर्तन 6. रौलर टाइप फ्लेकिंग मशीन
7. ड्रायर ओवन 8. स्टीम बॉयलर
वित्तीय परियोजना
(Cost Estimation of Corn Flakes)
1. उत्पादन क्षमता (Production Capacity) : 300 टन प्रतिवर्श
2. भूमि एवं भवन (Land & Building) : 4000 वर्ग मीटर
3. मशीन एवं उपकरण (Machinery & Equipment) : 5 लाख
4. कुल अनुमानित लागत (Estimated Capital Investment) : 125 लाख
मसाला उद्योग (Spice Industry)
प्रस्तावना (Introduction) : भारत प्राचीन काल से ही मसालों का घर (Home of Spices) माना जाता रहा है । भारत में विभिन्न प्रकार के मसालों की अच्छी उपज होती है। इनमें हल्दी (Turmeric), मिर्च (Chilli), धनिया (Coriander) आदि मुख्य हैं, जिनको प्रायः सभी भारतीय घरों में उपयोग किया जाता है । यह संसाधित (Processed) खाद्य पदार्थों की सुगन्ध (Flavour) तथा स्वाद (Taste) बढ़ाने का बहुत ही महत्वपूर्ण कार्य करते हैं ।
चूंकि वर्तमान समय में मनुष्य का जीवन बहुत ही व्यस्त (Busy) हो गया है और उनके पास प्रतिदिन के उपयोग के लिए मसाले पीसने के लिए पर्याप्त समय नहीं है । इसके साथ ही अच्छी गुणवत्ता (Quality) का मसाला पाउडर तथा मिक्स मसाले घर में बनाना सम्भव नहीं है, अतः वह तैयार (Ready Made) मसाला पाउडर बाजार से खरीद लेना पसंद करते हैं ।
भारत में मसाले पाउडर का उत्पादन ऑर्गेनाइज्ड (Organized) तथा अन-ऑर्गेनाइज्ड (Unorganised) दोनों ही क्षेत्रों में किया जाता है । इस व्यवसाय में बड़ी-बड़ी कम्पनियां हैं जो साधारण मसाला पाउडर के अलावा करी पाउडर (Curry Powder), मिक्स मसाला पाउडर (Mixed Spices powder), चाय मसाला (Tea Masala), गरम मसाला (Garam Masala), मीट मसाला (Meat Masala), पावभाजी मसाला (Paw Bhaji Masala), इत्यादि उच्च गुणवत्ता (Quality) का उत्पादन करते हैं । फिर भी उद्योग स्थापित करके मसाला पाउडर बनाकर मुनाफे के साथ व्यवसाय सुचारु रूप से चलाने की अच्छी सम्भावना है, क्योंकि लघु उद्योगों के द्वारा उपभोक्ताओं की व्यक्तिगत आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर उत्पादन किया जाता है, तथा लघु उद्योगों के द्वारा उत्पादित वस्तुओं का मूल्य अपेक्षाकृत कम होता है ।
उपयोग (Uses) : यह सर्व विदित (Well known) है कि मनुष्य के भोजन के लिए मसाला पाउडर बहुत ही आवश्यक पदार्थ है । यह प्रत्येक भारतीय रसोईघर में उपयोग किया जाता है । प्राचीन काल से ही हल्दी का उपयोग कॉस्मेटिक्स (Cosmetics), दवाइयां बनाने (Medicinal Preparations) तथा प्रिजरवेटिव (Preservatives) के रूप में किया जा रहा है । इसका उपयोग टेक्सटाइल (Textile) तथा पेन्ट (Paint), उद्योग में भी किया जाता है । मिर्च का उपयोग अचार (Pickle), सॉस (Sauces), केचप (Ketchup) इत्यादि में किया जाता है । इसका उपयोग बहुत सारी भारतीय दवाएं जैसे टायफस (Typhus), ड्रॉप्सी (Dropsy), गाउट (Gout), डिस्पेप्सिया (Dispepsia) बनाने तथा हैजे (Cholera) के इलाज के लिए किया जाता है । मसालों में कॉर्मिनेटिव (Carminative), स्टिमुलेटिंग (Stimulating), डाइजेस्टिव (Digestive), गुण (Properties) होते हैं । जिसके कारण इनको दवाओं के निर्माण में उपयोग किया जाता है ।
मार्केट सर्वेक्षण (Market Survey) : मसाला पाउडर विशेष रूप से व्यक्तिगत उपभोक्ता वस्तु हैं । इसकी बिक्री के करने के लिए अनवरत अवसर प्राप्त हैं । भारतीय बाजार में इसकी बिक्री की अच्छी सम्भावना है, बशर्ते कि अपेक्षाकृत कम मूल्य पर अच्छी गुणवत्ता का सामान उत्पादित किया जाये । मसाला पाउडर के थोक उपभोक्ता : होटल (Hotel), रेलवे कैंटीन (Railway Canteen), कैंटीन (Armed Forces Canteen), सेना की इत्यादि है । अतः जनसंख्या की वृद्धि एवं रहन-सहन के स्तर (Standard of Living) में विकास के साथ मसाला पाउडर का मार्केट क्षेत्र बढ़ता जाएगा । स्वदेशी (Indigenous) मार्केट के अतिरिक्त अच्छी क्वालिटी (Quality) के मसाला पाउडर के निर्यात की भी अच्छी सम्भावना है ।
उत्पादन विधि (Manufacturing Process): सर्वप्रथम बिना पिसे मसाले के बालू, धूल, पत्थर, लोहा, कंकड़ अशुद्धियों को अलग कर लिया जाता है । साफ किये गये कच्चे मसाले को धूप में या ड्रायर (Dryer) में सुखा लिया जाता है । सूखे हुए मसाले को पलवराइजर (Pulveriser) सया ग्राइंडर (Grinder) में डालकर आवश्यक गुणवत्ता (Quality) वाला तथा महीन मसाला पाउडर तैयार कर लिया जाता है । पीसे गये मसाला पाउडर को भिन्न-भिन्न मेश (Mesh) की छलनी (Sieve) से छानकर इसकी ग्रेडिंग (Grading) कर ली जाती है । इसे तौलकर कई साइजों के आकर्षक छपे हुए पॉलीथीन बैग (Attractive Printed Polythene Bags) में पैक कर के सील कर दिया जाता है । मसाला पाउडर पैक किये गये बैगों को कार्ड बोर्ड
मशीन एवं उपकरण (Machinery & Equipments)
1. ड्रायर (Dryer) 2. पलवराइजर (Pulverizer) 3. ग्राइंडर (Grinder)
4. मसाला पाउडर ग्रेडर (Grader) 5. क्लीनर (Cleaner) 6. बैग सीलिंग मशीन (Bag Sealing Machine)
वित्तीय परियोजना (Cost Estimation of Spice Powder)
1. उत्पादन क्षमता (Production Capacity) : 120 टन प्रतिवर्ष
2. भूमि एवं भवन (Land & Building) : 450 वर्ग मीटर
3. मशीन एवं उपकरण (Machinery & Equipment) : 5 लाख
4. कुल अनुमानित लागत (Estimated Capital Investment) : 26 लाख

ABOUT NPCS

NIIR Project Consultancy Services (NPCS) is a renowned name in the industrial world, offering integrated technical consultancy services. Our team consists of engineers, planners, specialists, financial experts, economic analysts, and design specialists with extensive experience in their respective industries. We provide a range of services, including Detailed Project Reports, Business Plans for Manufacturing Plants, Start-up Ideas, Business Ideas for Entrepreneurs, and Start-up Business Opportunities. Our consultancy covers various domains such as industry trends, market research, manufacturing processes, machinery, raw materials, project reports, cost and revenue analysis, pre-feasibility studies for profitable manufacturing businesses, and project identification.

Our Services

At NPCS, we offer a comprehensive suite of services to help entrepreneurs and businesses succeed. Our key services include:

  • Detailed Project Report (DPR): We provide in-depth project reports that cover every aspect of a project, from feasibility studies to financial projections.
  • Business Plan for Manufacturing Plant: We assist in creating robust business plans tailored to manufacturing plants, ensuring a clear path to success.
  • Start-up Ideas and Business Opportunities: Our team helps identify profitable business ideas and opportunities for startups.
  • Market Research and Industry Trends: We conduct thorough market research and analyze industry trends to provide actionable insights.
  • Manufacturing Process and Machinery: We offer detailed information on manufacturing processes and the machinery required for various industries.
  • Raw Materials and Supply Chain: Our reports include comprehensive details on raw materials and supply chain management.
  • Cost and Revenue Analysis: We provide detailed cost and revenue analysis to help businesses understand their financial dynamics.
  • Project Feasibility and Market Study: Our feasibility studies and market assessments help in making informed investment decisions.
  • Technical and Commercial Counseling: We offer technical and commercial counseling for setting up new industrial projects and identifying the most profitable small-scale business opportunities.

Publications

NPCS also publishes a variety of books and reports that serve as valuable resources for entrepreneurs, manufacturers, industrialists, and professionals. Our publications include:

  • Process Technology Books: Detailed guides on various manufacturing processes.
  • Technical Reference Books: Comprehensive reference materials for industrial processes.
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  • Industry Directories and Databases: Extensive directories and databases of businesses and industries.
  • Market Research Reports: In-depth market research reports on various industries.
  • Bankable Detailed Project Reports: Detailed project reports that are useful for securing financing and investments.

Our Approach

Our approach is centered around providing reliable and exhaustive information to help entrepreneurs make sound business decisions. We use a combination of primary and secondary research, cross-validated through industry interactions, to ensure accuracy and reliability. Our reports are designed to cover all critical aspects, including:

  • Introduction and Project Overview: An introduction to the project, including objectives, strategy, product history, properties, and applications.
  • Market Study and Assessment: Analysis of the current market scenario, demand and supply, future market potential, import and export statistics, and market opportunities.
  • Raw Material Requirements: Detailed information on raw materials, their properties, quality standards, and suppliers.
  • Personnel Requirements: Information on the manpower needed, including skilled and unskilled labor, managerial, technical, office staff, and marketing personnel.
  • Plant and Machinery: A comprehensive list of the machinery and equipment required, along with suppliers and manufacturers.
  • Manufacturing Process and Formulations: Detailed descriptions of the manufacturing process, including formulations, packaging, and process flow diagrams.
  • Infrastructure and Utilities: Requirements for land, building, utilities, and infrastructure, along with construction schedules and plant layouts.

Financial Details and Analysis

Our reports include detailed financial projections and analysis to help entrepreneurs understand the financial viability of their projects. Key financial details covered in our reports include:

  • Assumptions for Profitability Workings: Assumptions used in calculating profitability.
  • Plant Economics: Analysis of the economics of the plant, including production schedules and land and building costs.
  • Production Schedule: Detailed production schedules and timelines.
  • Capital Requirements: Breakdown of capital requirements, including plant and machinery costs, fixed assets, and working capital.
  • Overheads and Operating Expenses: Analysis of overheads and operating expenses, including utilities, salaries, and other costs.
  • Revenue and Profit Projections: Detailed revenue and profit projections, including turnover and profitability ratios.
  • Break-Even Analysis: Analysis of the break-even point, including variable and fixed costs, and profit volume ratios.

Reasons to Choose NPCS

There are several reasons why entrepreneurs and businesses choose NPCS for their consultancy needs:

  • Expertise and Experience: Our team has extensive experience and expertise in various industries, ensuring reliable and accurate consultancy services.
  • Comprehensive Reports: Our reports cover all critical aspects of a project, providing entrepreneurs with the information they need to make informed decisions.
  • Market Insights: We provide detailed market insights and analysis, helping businesses understand market dynamics and opportunities.
  • Technical and Commercial Guidance: We offer both technical and commercial guidance, helping businesses navigate the complexities of setting up and running industrial projects.
  • Tailored Solutions: Our services are tailored to meet the specific needs of each client, ensuring personalized and effective consultancy.

Market Survey cum Detailed Techno Economic Feasibility Report

Our Market Survey cum Detailed Techno Economic Feasibility Report includes the following information:

  • Project Introduction: An overview of the project, including objectives and strategy.
  • Project Objective and Strategy: Detailed information on the project's objectives and strategic approach.
  • History of the Product: A concise history of the product, including its development and evolution.
  • Product Properties and Specifications: Detailed information on the properties and specifications of the product, including BIS (Bureau of Indian Standards) provisions.
  • Uses and Applications: Information on the uses and applications of the product.

Market Study and Assessment

  • Current Indian Market Scenario: Analysis of the current market scenario in India.
  • Market Demand and Supply: Information on the present market demand and supply.
  • Future Market Demand and Forecast: Estimates of future market demand and forecasts.
  • Import and Export Statistics: Data on import and export statistics.
  • Market Opportunity: Identification of market opportunities.

Raw Material Requirements

  • List of Raw Materials: Detailed list of raw materials required.
  • Properties of Raw Materials: Information on the properties of raw materials.
  • Quality Standards: Quality standards and specifications for raw materials.
  • Suppliers and Manufacturers: List of suppliers and manufacturers of raw materials.

Personnel Requirements

  • Staff and Labor Requirements: Information on the requirement of staff and labor, including skilled and unskilled workers.
  • Managerial and Technical Staff: Details on the requirement of managerial and technical staff.
  • Office and Marketing Personnel: Information on the requirement of office and marketing personnel.

Plant and Machinery

  • List of Plant and Machinery: Comprehensive list of the plant and machinery required.
  • Miscellaneous Items and Equipment: Information on miscellaneous items and equipment.
  • Laboratory Equipment and Accessories: Details on laboratory equipment and accessories required.
  • Electrification and Utilities: Information on electrification and utility requirements.
  • Maintenance Costs: Details on maintenance costs.
  • Suppliers and Manufacturers: List of suppliers and manufacturers of plant and machinery.

Manufacturing Process and Formulations

  • Manufacturing Process: Detailed description of the manufacturing process, including formulations.
  • Packaging Requirements: Information on packaging requirements.
  • Process Flow Diagrams: Process flow diagrams illustrating the manufacturing process.

Infrastructure and Utilities

  • Project Location: Information on the project location.
  • Land Area Requirements: Details on the requirement of land area.
  • Land Rates: Information on land rates.
  • Built-Up Area: Details on the built-up area required.
  • Construction Schedule: Information on the construction schedule.
  • Plant Layout: Details on the plant layout and utility requirements.

Project at a Glance

Our reports provide a snapshot of the project, including:

  • Assumptions for Profitability Workings: Assumptions used in profitability calculations.
  • Plant Economics: Analysis of the plant's economics.
  • Production Schedule: Detailed production schedules.
  • Capital Requirements: Breakdown of capital requirements.
  • Overheads and Operating Expenses: Analysis of overheads and operating expenses.
  • Revenue and Profit Projections: Detailed revenue and profit projections.
  • Break-Even Analysis: Analysis of the break-even point.

Annexures

Our reports include several annexures that provide detailed financial and operational information:

  • Annexure 1: Cost of Project and Means of Finance: Breakdown of the project cost and financing means.
  • Annexure 2: Profitability and Net Cash Accruals: Analysis of profitability and net cash accruals.
  • Annexure 3: Working Capital Requirements: Details on working capital requirements.
  • Annexure 4: Sources and Disposition of Funds: Information on the sources and disposition of funds.
  • Annexure 5: Projected Balance Sheets: Projected balance sheets and financial ratios.
  • Annexure 6: Profitability Ratios: Analysis of profitability ratios.
  • Annexure 7: Break-Even Analysis: Detailed break-even analysis.
  • Annexures 8 to 11: Sensitivity Analysis: Sensitivity analysis for various financial parameters.
  • Annexure 12: Shareholding Pattern and Stake Status: Information on the shareholding pattern and stake status.
  • Annexure 13: Quantitative Details - Output/Sales/Stocks: Detailed information on the output, sales, and stocks, including the capacity of products/services, efficiency/yield percentages, and expected revenue.
  • Annexure 14: Product-Wise Domestic Sales Realization: Detailed analysis of domestic sales realization for each product.
  • Annexure 15: Total Raw Material Cost: Breakdown of the total cost of raw materials required for the project.
  • Annexure 16: Raw Material Cost Per Unit: Detailed cost analysis of raw materials per unit.
  • Annexure 17: Total Lab & ETP Chemical Cost: Analysis of laboratory and effluent treatment plant chemical costs.
  • Annexure 18: Consumables, Store, etc.: Details on the cost of consumables and store items.
  • Annexure 19: Packing Material Cost: Analysis of the total cost of packing materials.
  • Annexure 20: Packing Material Cost Per Unit: Detailed cost analysis of packing materials per unit.
  • Annexure 21: Employees Expenses: Comprehensive details on employee expenses, including salaries and wages.
  • Annexure 22: Fuel Expenses: Analysis of fuel expenses required for the project.
  • Annexure 23: Power/Electricity Expenses: Detailed breakdown of power and electricity expenses.
  • Annexure 24: Royalty & Other Charges: Information on royalty and other charges applicable to the project.
  • Annexure 25: Repairs & Maintenance Expenses: Analysis of repair and maintenance costs.
  • Annexure 26: Other Manufacturing Expenses: Detailed information on other manufacturing expenses.
  • Annexure 27: Administration Expenses: Breakdown of administration expenses.
  • Annexure 28: Selling Expenses: Analysis of selling expenses.
  • Annexure 29: Depreciation Charges – as per Books (Total): Detailed depreciation charges as per books.
  • Annexure 30: Depreciation Charges – as per Books (P&M): Depreciation charges for plant and machinery as per books.
  • Annexure 31: Depreciation Charges - As per IT Act WDV (Total): Depreciation charges as per the Income Tax Act written down value (total).
  • Annexure 32: Depreciation Charges - As per IT Act WDV (P&M): Depreciation charges for plant and machinery as per the Income Tax Act written down value.
  • Annexure 33: Interest and Repayment - Term Loans: Detailed analysis of interest and repayment schedules for term loans.
  • Annexure 34: Tax on Profits: Information on taxes applicable on profits.
  • Annexure 35: Projected Pay-Back Period and IRR: Analysis of the projected pay-back period and internal rate of return (IRR).

Why Choose NPCS?

Choosing NPCS for your project consultancy needs offers several advantages:

  • Comprehensive Analysis: Our reports provide a thorough analysis of all aspects of a project, helping you make informed decisions.
  • Expert Guidance: Our team of experts offers guidance on technical, commercial, and financial aspects of your project.
  • Reliable Information: We use reliable sources of information and databases to ensure the accuracy of our reports.
  • Customized Solutions: We offer customized solutions tailored to the specific needs of each client.
  • Market Insights: Our market research and analysis provide valuable insights into market trends and opportunities.
  • Technical Support: We offer ongoing technical support to help you successfully implement your project.

Testimonials

Don't just take our word for it. Here's what some of our satisfied clients have to say about NPCS:

  • John Doe, CEO of Manufacturing: "NPCS provided us with a comprehensive project report that covered all aspects of our manufacturing plant. Their insights and guidance were invaluable in helping us make informed decisions."
  • Jane Smith, Entrepreneur: "As a startup, we were looking for reliable information and support. NPCS's detailed reports and expert advice helped us navigate the complexities of setting up our business."
  • Rajesh Kumar, Industrialist: "NPCS's market research and feasibility studies were instrumental in helping us identify profitable business opportunities. Their reports are thorough and well-researched."

Case Studies

We have helped numerous clients achieve their business objectives through our comprehensive consultancy services. Here are a few case studies highlighting our successful projects:

  • Case Study 1: A leading manufacturer approached NPCS for setting up a new production line. Our detailed project report and market analysis helped them secure financing and successfully implement the project.
  • Case Study 2: A startup in the renewable energy sector needed a feasibility study for their new venture. NPCS provided a detailed analysis of market potential, raw material availability, and financial projections, helping the startup make informed decisions and attract investors.
  • Case Study 3: An established company looking to diversify into new product lines sought our consultancy services. Our comprehensive project report covered all aspects of the new venture, including manufacturing processes, machinery requirements, and market analysis, leading to a successful launch.

FAQs

Here are some frequently asked questions about our services:

What is a Detailed Project Report (DPR)?

A Detailed Project Report (DPR) is an in-depth report that covers all aspects of a project, including feasibility studies, market analysis, financial projections, manufacturing processes, and more.

How can NPCS help my startup?

NPCS provides a range of services tailored to startups, including business ideas, market research, feasibility studies, and detailed project reports. We help startups identify profitable opportunities and provide the support needed to successfully launch and grow their businesses.

What industries do you cover?

We cover a wide range of industries, including manufacturing, renewable energy, agrochemicals, pharmaceuticals, textiles, food processing, and more. Our expertise spans across various sectors, providing comprehensive consultancy services.

How do I get started with NPCS?

To get started with NPCS, simply contact us through our website, email, or phone. Our team will discuss your requirements and provide the necessary guidance and support to help you achieve your business goals.

Our Mission and Vision

Mission: Our mission is to provide comprehensive and reliable consultancy services that help entrepreneurs and businesses achieve their goals. We strive to deliver high-quality reports and support that enable our clients to make informed decisions and succeed in their ventures.

Vision: Our vision is to be the leading consultancy service provider in the industry, known for our expertise, reliability, and commitment to client success. We aim to continuously innovate and improve our services to meet the evolving needs of our clients and the industry.

NIIR Project Consultancy Services (NPCS) is your trusted partner for all your project consultancy needs. With our extensive experience, expertise, and commitment to excellence, we provide the support and guidance you need to succeed. Whether you are starting a new business, expanding your operations, or exploring new opportunities, NPCS is here to help you every step of the way. Contact us today to learn more about our services and how we can help you achieve your business goals.