औद्योगिक क्षेत्र, खासकर सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम क्षेत्र के विकास को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने विभिन्न योजनाएं आरंभ की हैं, जिनके अंतर्गत पात्र उद्यमों को सब्सिडी प्रदान की जाती है। ऐसी कुछ सब्सिडी योजनाएँ विशिष्ट रूप से कतिपय औद्योगिक क्षेत्रों के लिए हैंए जबकि उनमें से कुछ, जैसे कि सीएलसीएसएस, अऩेक प्रकार के उद्योगों के लिए उपलब्ध हैं।
सरकार और सार्वजनिक संस्थाओं की कुछ प्रमुख सब्सिडी योजनाएँ नीचे दी गई हैं। इन्हें निम्नवत वर्गीकृत किया जा सकता है:
विशिष्ट उद्योगों के लिए सब्सिडी योजनाएँ
वस्त्र उद्योग - प्रौद्योगिकी उन्नयन निधि योजना (टफ्स)
वस्त्र मंत्रालय ने अप्रैल 1999 में वस्त्र और जूट उद्योग हेतु प्रौद्योगिकी उन्नयन निधि योजना प्राद्योगिकी उन्नयन निधि योजना आरंभ कीए ताकि वस्त्र इकाइयों में नवीनतम प्रौद्योगिकी का प्रवेश सुगमतापूर्वक हो सके। इस योजना के अंतर्गत निम्नलिखित लाभ होते हैं:
•ऋणदात्री एजेंसी द्वारा आरटीएल पर प्रभारित सामान्य ब्याज की 5% ब्याज प्रतिपूर्ति, अथवा
•एफसीएल पर आधार दर से 5% विनिमय उतार चढ़ाव (ब्याज या चुकोती), अथवा
•लघु उद्योग क्षेत्र के लिए 15% ऋण आधारित पूंजी सब्सिडी, अथवा
•पॉवरलूम क्षेत्र के लिए 20% ऋण आधारित पूंजी सब्सिडी (1अक्तूबर 2005 से 'फ्रंट एंडेड' सब्सिडी का विकल्प दिया गया) अथवा
•विशिष्ट प्रसंस्करण मशीनरी हेतु 5%ब्याज प्रतिपूर्ति तथा 10% पूँजी सब्सिडी
आईडीबीआईए सिडबी तथा आईएफसीआई क्रमश: गैर-लघु उद्योग वस्त्र क्षेत्र, लघु उद्योग वस्त्र क्षेत्र तथा जूट क्षेत्र हेतु नोडल एजेंसियाँ हैं। तथापि 1 अक्तूबर 2005 से, टफ्स के अंतर्गत 13 अतिरिक्त नोडल बैंक बनाए गए हैं, जो उनके द्वारा वित्तपोषित मामलों में पात्रता निर्धारित करेंगे और सब्सिडी जारी करेंगे।
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग - खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों हेतु प्रौद्योगिकी उन्नयन/ स्थापना/आधुनिकरण योजना
यह योजना निम्नलिखित गतिविधियों को कवर करती है: खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों की स्थापना/आधुनिकरण/विस्तार। खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों में उसके सभी खंड - फल तथा सब्जियाँ, दूध उत्पाद, मांस, मुर्गीपालन, मछलीपालन, तिलहन तथा ऐसे अन्य कृषि-बागवानी क्षेत्र जो मूल्यवर्द्धन तथा शेल्फ लाइफ एनहेंसमेंट करते हैं जैसे खाद्य सुगंध तथा रंग, ओलियोरेसिन्स, मसाले, कोकोनट, मशरूम, होप्स आदि शामिल हैं। सहायता अनुदान के रूप में होती है, जो संयंत्र और मशीनरी तथा तकनीकी सिविल कार्य के 25% तक होती है किंतु यह सामान्य क्षेत्रों में अधिकतम 50 लाख रुपये तथा कठिन इलाकों में 33% तक किंतु अधिकतम 75 लाख रुपये हो सकती है।
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